
धान-गेहूं छोड़ इस फूल की खेती से कमा रहे हैं तीन गुना मुनाफा
Gulab Farming in Kannauj: इत्र की नगरी कन्नौज अब एक बार फिर अपनी खुशबू से पूरी दुनिया को महका रही है — लेकिन इस बार वजह है गुलाब की खेती! यहां के किसान पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं की जगह अब गुलाब उगा रहे हैं, जिससे उन्हें दोगुना नहीं बल्कि तीन गुना तक मुनाफा हो रहा है।
कन्नौज की मिट्टी – गुलाब के लिए वरदान
कन्नौज की मिट्टी में नमी और जैविक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं, जो गुलाब की खेती के लिए बेहद अनुकूल माने जाते हैं। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि यहां की जलवायु “गुलाब-ए-दामस्क”, “गुलाब-ए-शाही” और “सेंटीफोलिया” जैसी प्रजातियों के लिए परफेक्ट है। ये वही किस्में हैं जिनसे उच्च गुणवत्ता वाला इत्र, गुलकंद और गुलाब जल तैयार किया जाता है।
ऐसे करें गुलाब की खेती
खेती की शुरुआत गुलाब की नर्सरी तैयार करने से की जाती है। पौधों को 60×60 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपना सबसे उपयुक्त माना जाता है।
सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल पानी की बचत के साथ पौधों को समान नमी प्रदान करता है।
हर 15 से 20 दिन में सड़ी हुई गोबर या जैविक खाद डालना चाहिए।
रासायनिक खाद से बचें — क्योंकि जैविक खाद फूलों की खुशबू और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाती है।
गुलाब की खेती से कितना मुनाफा?
एक एकड़ भूमि में लगभग 6,000 से 7,000 पौधे लगाए जा सकते हैं।
हर पौधे से सालभर में करीब 1.5 से 2 किलो फूल प्राप्त होते हैं।
सिर्फ फूलों की बिक्री से किसान को ₹80,000 से ₹1 लाख तक की कमाई हो सकती है।
लेकिन अगर किसान सीधे इत्र उद्योग को फूल सप्लाई करते हैं, तो यह मुनाफा तीन गुना तक पहुंच सकता है।
गुलाब की खुशबू से लौट रही है कन्नौज की पहचान
कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमर सिंह के अनुसार, सरकार किसानों को गुलाब की खेती में तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण दे रही है। साथ ही, किसानों को सीधे इत्र निर्माताओं से जोड़ने की पहल भी की जा रही है, जिससे उन्हें सही दाम और बाजार दोनों मिल सकें।
उन्होंने कहा — “गुलाब की खेती कन्नौज के किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर आई है। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ रही है, बल्कि जिले की पारंपरिक खुशबू भी दुनिया तक पहुंच रही है।”
धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की जगह अगर किसान गुलाब की खेती अपनाएं, तो यह न सिर्फ आर्थिक मजबूती देगा बल्कि स्थायी आय का जरिया भी बनेगा।
कन्नौज का गुलाब एक बार फिर साबित कर रहा है कि “अगर खेती में सोच बदलो, तो मिट्टी भी सोना उगला सकती है।”