
बसना नगर सहित ग्रामीण अंचलों में धूमधाम से मनाया गया दीपावली का पर्व
रातभर गूंजते रहे पटाखों के धमाके, दीपों से जगमगाया नगर सहित पूरा क्षेत्र
घर-घर सजी दीपमालिका, मां लक्ष्मी की आराधना के साथ मनाया गया प्रकाश पर्व
सी डी बघेल।
बसना नगर सहित आसपास के ग्रामों में सोमवार को प्रकाश पर्व दीपावली बड़े ही हर्षोल्लास, उमंग और पारंपरिक श्रद्धा के साथ मनाई गई। सुबह से ही नगर में त्यौहार की रौनक देखने को मिली। लोगों ने अपने घरों, प्रतिष्ठानों और मंदिरों की सफाई कर सुंदर रंगोलियां सजाईं। बाजारों में दिनभर चहल-पहल बनी रही, वहीं मिठाई की दुकानों पर खरीदारों की लंबी कतारें देखी गईं।
दीपावली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 4 बजे से रात्रि तक रहा। इस दौरान घर-घर में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित कर समृद्धि और मंगल की कामना की। पूरे नगर का दृश्य दीपमालिका से आलोकित हो उठा। घरों की दीवारों, छतों, आंगनों और मार्गों पर सजे सैकड़ों दीपक मानो आकाश के तारों की भांति झिलमिला रहे थे। रंग-बिरंगी झालरों और विद्युत सजावट से पूरा बसना नगर स्वर्ग की भांति चमक उठा।शहीद वीर नारायण सिंह चौक, थाना चौक, पदमपुर रोड, बस स्टैंड, जगदीशपुर रोड सहित प्रमुख मार्गों पर नागरिकों ने आकर्षक सजावट कर दीपावली को यादगार बना दिया। पूजा-अर्चना के पश्चात लोगों ने अपने मित्रों, परिजनों और पड़ोसियों के साथ मिठाइयों का आदान-प्रदान कर एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।बच्चों और युवाओं में फटाकों और आतिशबाजी का जोश देखते ही बनता था। शाम ढलते ही आसमान रंगीन रोशनी से भर उठा। रातभर बसना नगर और आसपास के गांवों में पटाखों की गूंज सुनाई देती रही। देर रात तक आतिशबाजी का दौर जारी रहा और पूरा क्षेत्र प्रकाश और उल्लास से सराबोर हो गया।
महिलाओं ने घरों में पारंपरिक व्यंजन तैयार कर परिवारजनों को परोसे, वहीं वृद्धजन और बच्चे दीपों की रोशनी में देर रात तक त्यौहार का आनंद लेते रहे। ग्रामीण अंचलों सिंघनपुर, भूकेल, भंवरपुर, बड़ेसाजापाली, सलखंड, जमदरहा, पिरदा, चनाट, जगदीशपुर, रेमड़ा, भगतदेवरी, साल्हेतराई, गढ़फुलझर, बरोली, सलडीह, चिमरकेल, आमापाली सहित विभिन्न गांवों में भी दीपावली का पर्व उत्साह और परंपरा के साथ मनाया गया। गांवों में इस वर्ष लोगों ने मिट्टी से बने पारंपरिक दीयों का अधिक प्रयोग किया। दीपावली से लगभग पंद्रह दिन पहले ही गांव-गांव में कुम्हारों ने मिट्टी के दीये बेचने के लिए गांव गांव आए थे । ग्रामीणों ने इन दीयों की खूब खरीदारी की। इससे कुम्हारों का पारंपरिक व्यवसाय फिर से रफ्तार पकड़ता दिखा। ग्रामीणों ने बताया कि वे मिट्टी से बने दीयों को शुभ और पवित्र मानते हैं तथा अब यह परंपरा पुनः प्रचलन में आ रही है। शाम ढलते ही गांव-गांव में घरों, मंदिरों और आंगनों में मिट्टी के दीपों की कतारें जगमगाने लगीं।दीपावली की शाम नगर की सड़कों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शहीद वीर नारायण सिंह चौक, पदमपुर रोड और थाना चौक क्षेत्र में यातायात का दबाव इतना बढ़ गया कि कुछ समय के लिए जाम की स्थिति बन गई। हालांकि, पुलिस प्रशासन की पूर्व तैयारी और सतर्कता के चलते यातायात व्यवस्था शीघ्र ही सामान्य हो गई। पुलिस एवं प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे, जिससे दीपावली का पर्व शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। दीपों की रोशनी और खुशियों के बीच बसना नगर और ग्रामीण अंचल देर रात तक उल्लास से सराबोर रहा।