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बसना : लमकेनी में पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया गौरा-गौरी पर्व

सी डी बघेल।

कला, संस्कृति और संकीर्तन के लिए प्रसिद्ध ग्राम लमकेनी में दीपावली के अवसर पर पारंपरिक गौरा-गौरी पर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा में कार्तिक अमावस्या की रात जहां एक ओर दीपों की जगमगाहट होती है, वहीं दूसरी ओर गांव-गांव में सुआ गीत और गौरा-गौरी पूजा का आयोजन कर लोक संस्कृति को जीवंत किया जाता है।

विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी गौरा-गौरी पर्व समिति की महिलाओं ने आयोजन की पूरी जिम्मेदारी संभाली। सरपंच एवं ग्राम बैगा परिवार के मुखिया श्री जगदीश सिदार ने बताया कि गांव में यह परंपरा कई वर्षों से निरंतर निभाई जा रही है। इस अवसर पर भगवान महादेव-पार्वती के साथ नागदेवता, नंदी बैल, बजरंगबली और ग्रामपति ठाकुरदिया सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विधिवत पूजन किया गया। पूजन के दौरान मांदर, ढोल, ताशा, निशान और मोहरी की गूंज से गांव का वातावरण भक्तिमय हो उठा। 

सरपंच सिदार ने कहा कि छत्तीसगढ़ की यह लोक परंपरा आपसी भाईचारे, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जिसमें गांव एवं संसार के कल्याण की कामना की जाती है। दीपावली की रात गांव में भक्ति गीतों की स्वर लहरियां देर रात तक गूंजती रहीं। अगले दिन भव्य झांकी निकालकर गौरा-गौरी का विसर्जन किया गया तथा सामूहिक भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया। गांववासियों का कहना है कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि हमारी मिट्टी से जुड़ी जीवंत लोक परंपरा है, जिसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना आवश्यक है। इस वर्ष भी ग्रामवासियों एवं आसपास के लोगों ने श्रद्धा, भक्ति और सहयोग भाव से पर्व को सफल बनाया।


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