
बसना : अवकाश में भी नहीं थमा सीखने का सिलसिला , करनापाली स्कूल में‘पियर लर्निंग’ से निखर रहा बच्चों का भविष्य
दीपावली अवकाश में विद्यार्थियों को नियमित अध्ययन से जोड़ने विद्यालय परिवार की अभिनव पहल
नवोदय, एकलव्य जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की हो रही तैयारी
सी डी बघेल, बसना। विकासखंड बसना के अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला करनापाली ने दीपावली अवकाश के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। अवकाश के दिनों को बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उपयोगी बनाते हुए विद्यालय परिवार ने “पियर लर्निंग” (सहकर्मी शिक्षण) की अभिनव पद्धति को अपनाया है।
यह शिक्षण प्रक्रिया इस विचार पर आधारित है कि विद्यार्थी केवल शिक्षक से नहीं, बल्कि एक-दूसरे से भी प्रभावी ढंग से सीख सकते हैं। इसमें छात्र जोड़ी या समूह बनाकर अध्ययन करते हैं, एक-दूसरे के असाइनमेंट की समीक्षा करते हैं, कठिन विषयों पर चर्चा करते हैं और समस्याओं के समाधान ढूंढ़ते हैं। इससे उनके बीच सहयोग, संवाद, नेतृत्व और आत्मविश्वास जैसे गुणों का विकास होता है।
प्रधान पाठक गिरधारी साहू ने बताया कि सहकर्मी शिक्षण आधुनिक शिक्षा मनोविज्ञान की एक प्रभावशाली तकनीक है, जो छात्रों की सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाती है और उन्हें स्व-प्रेरित शिक्षार्थी बनाती है। करनापाली विद्यालय में इस पद्धति को विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए अपनाया गया है जो नवोदय, एकलव्य एवं सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। विद्यालय के शिक्षक वीरेंद्र कुमार कर द्वारा प्रतिदिन नवोदय अभ्यास परीक्षा का ऑनलाइन संचालन किया जा रहा है, जिससे छात्रों को निरंतर अभ्यास और आत्ममूल्यांकन का अवसर मिल रहा है।
शिक्षिका निर्मला नायक और नवोदय व एकलव्य विद्यालयों में अध्ययनरत पूर्व छात्र भी इस पहल में सक्रिय सहयोग दे रहे हैं। विद्यालय परिवार के इस शैक्षणिक नवाचार की सराहना करते हुए विकासखंड शिक्षा अधिकारी बद्री विशाल जोल्हे, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी लोकेश्वर सिंह कंवर एवं बीआरसी अनिल साव ने प्रसन्नता व्यक्त की है और इसे अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणादायक बताया है।पालकगणों ने भी विद्यालय के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि करनापाली शाला ने यह सिद्ध कर दिया है कि सीखने की प्रक्रिया अवकाश की मोहताज नहीं होती। उन्होंने विद्यालय परिवार को निरंतर प्रगति की शुभकामनाएं दी हैं।