महासमुंद : बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान अंतर्गत महासमुंद में प्रतिषेध अधिकारियों का उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित
छत्तीसगढ़ को बाल विवाह मुक्त बनाने के संकल्प को साकार करने की दिशा में महासमुंद जिले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। स्थानीय आत्मानंद विद्यालय सभाकक्ष में आज बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत नए प्रतिषेध अधिकारियों का एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग महासमुंद द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में प्रतिषेध अधिकारियों को बाल विवाह रोकथाम के कानूनी प्रावधानों, रिपोर्टिंग तंत्र और सामुदायिक भागीदारी पर विस्तृत जानकारी दी गई।
साथ ही, केंद्र सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की उपलब्धियों और रणनीतियों और बाल संरक्षण अधिनियम पर भी प्रकाश डाला गया, जो बालिकाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा पुलिस विभाग द्वारा साइबर जागरूकता अभियान के तहत जानकारी दी गई।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में नगरपालिका उपाध्यक्ष देवीचंद राठी शामिल हुए। इस अवसर पर देवीचंद राठी ने अपने संबोधन में कहा कि बाल विवाह के मामले छत्तीसगढ़ राज्य में बहुत कम है लेकिन फिर भी जो कुछ चुनिंदा मामले हैं उन पर त्वरित कार्यवाही विभाग द्वारा किया जा रहा है जो सराहनीय है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य 2028-29 तक पूरे राज्य को बाल विवाह मुक्त घोषित करना है, और इसके लिए हर स्तर पर सजगता आवश्यक है। हम सबको एक जुट होकर जिले को बाल विवाह मुक्त जिला घोषित करना है।
इस अवसर पर पार्षद पीयूष साहू, कल्पना सूर्यवंशी, पूर्व पार्षद राजू चंद्राकर, डीएसपी चुन्नू तिग्गा, नईम ख़ान शरद मराठा, गौरव राठी, बाल संरक्षण अधिकारी खेमचंद चौधरी, ग्राम पंचायत के सचिव एवं महिला बाल विभाग के परियोजना अधिकारी शैल नाविक, अपर्णा श्रीवास्तव, मनीषा साहू एवं पर्यवेक्षक शीला प्रधान सहित सभी पर्यवेक्षक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद थे।
कार्यशाला में परियोजना अधिकारी मनीषा साहू ने सभी के समक्ष बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के प्रावधानों से अवगत कराया। उन्होंने स्पष्ट किया कि लड़कियों की न्यूनतम विवाह आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष है। अधिनियम के तहत विवाह कराने वालों को दो वर्ष तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत महासमुंद में पिछले दो वर्षों में बालिकाओं की एनीमिया दर में 15 प्रतिशत की कमी आई है और स्कूल ड्रॉपआउट दर घटी है।
उन्होंने कहा, बेटी को बचाना और पढ़ाना ही बाल विवाह रोकने का मूल मंत्र है। अभियान के अंतर्गत 500 से अधिक बालिकाओं को स्कॉलरशिप प्रदान की गई है।
इसके अलावा, साइबर जागरूकता अभियान अंतर्गत किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत प्रभावित बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास पर पुलिस विभाग द्वारा जानकारी दी गई। कार्यशाला में समापन सत्र में बाल विवाह मुक्त समाज बनाने की शपथ दिलाई गई।