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संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त, दोनों सदनों से पास हुए कुल 15 बिल

संसद के शीतकालीन सत्र में कुल 20 बैठकें हुई। सत्र के दौरान 15 विधेयक ऐसे रहे जो दोनों सदनों से पारित हुये। लोकसभा की उत्पादकता 115 फीसदी से ज्यादा रही जबकि राज्यसभा की उत्पादकता करीब 100 फीसदी रही। और इसी के साथ संसद का शीतकालीन सत्र समाप्ट हो गया।

18 नवंबर से शुरू हुये संसद के शीतकालीन सत्र में कुल 20 बैठकें हुई। सत्र के दौरान 15 विधेयक ऐसे रहे जो दोनों सदनों से पारित हुये। लोकसभा की उत्पादकता 115 फीसदी से ज्यादा रही जबकि राज्यसभा की उत्पादकता करीब 100 फीसदी रही। संसद का शीतकालीन सत्र प्रश्नकाल के लिहाज से भी वर्ष 1971 के बाद पिछले 49 सालों में सबसे बेहतरीन रहा है।

सत्र के दौरान जो अहम बिधेयक दोनो सदनों से पारित किये गये उनमें नागरिकता संशोधन विधेयक, एसपीजी संशोधन विधेयक, जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक, एससी एसटी आरक्षण को दस साल आगे बढ़ाने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक, कराधान विधि संशोधन बिल ई सिगरेट पर पाबंदी से जुड़ा विधेयक, आयुध संशोधन विधे्यक, चिटफंड संशोधन विधेयक और उभयलिंगी व्यक्तियों के अधिकारों से जुड़ा बिल शामिल है। इससे साथ ही दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को संपत्ति का अधिकार देने से जुड़े बिल को संसद के दोनो सदनों से मंजूरी दी गई है।

इस बार काफी अंतराल के बाद उच्च सदन में अनुदान की अनुपूरक मांगों को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटाया गया। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने अपने समापन भाषण में सत्र के दौरान हुए कामकाज पर संतोष जताते हुए इसे ऐतिहासिक करार दिया।

समापन भाषण में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सत्र के दौरान न केवल विधायी कामकाज जमकर हुआ बल्कि प्रश्वकाल में सवाल पूछने का भी सांसदो को खूब मौका मिला। लोकसभा में प्रदूषण पर चर्चा के साथ साथ किसानों के मुद्दे पर चर्चा भी हुई।

गौरतलब है कि मौजूदा सत्र के दौरान(इन) उच्च सदन में भारतीय राजनीति में राज्यसभा की भूमिका और आगे की राह पर विशेष चर्चा भी कराई गई। जबकि संविधान के अंगीकार करने के 70 साल पूरे होने पर  26 नंवबर को केन्द्रीय कक्ष में दोनो सदनों के सदस्यों के लिये विशेष समारोह का आयोजन भी किया गया।(आउट) भले ही संसद का शीतकालीन सत्र बैठकों के लिहाज से संक्षिप्त रहा है लेकिन कामकाज के लिहाज से ये सत्र कई अहम विधयकों के पारित होने का गवाह बना है। इसके साथ ही सांसदों को सवाल पूछने को भी भरपूर मौका मिला है।




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