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दहेज के लोभियों के ख़िलाफ़ पीड़िता युवती ने की शिकायत.. IPC की धारा 498-A के तहत मामला दर्ज...!

ससुर विनोद अग्रवाल कहता है कि मेरा बेटा नहीं सुधरेगा

सास हारावती कहती है कि मेरे बेटे को सोने की अंगूठी और चैन क्यों नही दिए तुम लोग

पति कहता है तुझे नहीं रखूंगा मेरा किसी और से संबंध है उसी को घर लेकर आऊंगा।


विवाह से पूर्व ही वर पक्ष के लोग दहेज के रूप वधू पक्ष से अनेक माँगे रखते हैं जिनके पूरा होने के आश्वासन के पश्चात् ही वे विवाह के लिए तैयार होते हैं । किसी कारणवश यदि वधू का पिता वर पक्ष की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरता तो वधू को उसका दंड आजीवन भोगना पड़ता है । कहीं-कहीं तो लोग इस सीमा तक अमानवीयता पर आ जाते हैं कि इसे देखकर मानव सभ्यता कलंकित हो उठती है ।

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम को सबसे अधिक उन लड़कियों को भोगना पड़ता है जो निर्धन परिवार की होती हैं । पिता वर पक्ष की माँगों को पूरा करने के लिए सेठ, साहूकारों से कर्ज ले लेता है जिसके बोझ तले वह जीवन पर्यत दबा रहता है ।

समाज में पुरातन काल से चले आ रहे दहेज जैसी सामाजिक कुप्रथा आज इस शिक्षित वर्ग में भी कुछ जगहों पर व्याप्त है। कई जगहों से दहेज प्रताड़ना की बात समय-समय पर सामने आती रहती है शादी विवाह में कन्या पक्ष के लिए दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा अभिशाप बन चुकी है।खासकर गरीब तपके के लोगों के लिए कन्यादान के समय दहेज दे पाना काफी मुश्किल हो जाता है जिसके बाद बेटी को ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़ना झेलनी पड़ती है ऐसा ही मामला रायगढ़ जिले के घरघोड़ा थाना क्षेत्र से सामने आई है जहां पीड़िता के शिकायत के बाद धारा 498-A IPC के तहत अपराध पंजीबद्ध की गई है ।

पीड़िता के आवेदन से मिली जानकारी अनुसार पीड़िता मनीषा अग्रवाल पिता अशोक अग्रवाल उम्र 24 वर्ष निवासी सरिया थाना की रहने वाली है जिसकी विवाह 5 जून 2015 को पूर्ण सामाजिक रीति रिवाज के साथ कुडुमकेल( कोसमघाट) निवासी सब्बू अग्रवाल के साथ खरसिया के कन्या भवन में संपन्न हुई थी ।

शादी होने के पश्चात 25 दिन ठीक से ससुराल में नहीं गुजरी और पीड़िता को दहेज के लिए सास ससुर और पति के द्वारा प्रताड़ना झेलनी पड़ी शादी के बाद 25 दिन भी नहीं गुजरी थी और पीड़िता को घर छोड़ने के बात बोली जा रही थी।

जिसके बाद पीड़िता ने पूरा घटना अपने पिता को बताई, पिता ने समझा-बुझाकर पीड़िता को ससुराल में ही रहने की बात कहीं और दिलाशा देते हुए यह कहा कि सभी चीज ठीक हो जाएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ दहेज को लेकर पीड़िता के साथ प्रताड़ना बढ़ती गयी।

आवेदिका ने बताई है कि उसके ससुर के द्वारा भी उसे ससुराल में प्रताड़ित की जाती है ससुर विनोद अग्रवाल कहता है कि मेरा बेटा नहीं सुधरेगा उसका एक नहीं बल्कि कई लड़कियों के साथ संबंध है अगर तुझे रहना है तो रह वरना अपने बाप के घर चली जा।

पीड़िता ने आवेदन में बताई है कि उसकी सास हरावती राठिया कहती है कि तू मांगलिक है और मेरे बेटे को खा जाएगी दहेज के लिए ताने मारते हुए कहती है कि मेरे बेटे को सोने की अंगूठी और चैन जरूर देना ही था।
आवेदिका ने बताई है कि उसका पति शादी के 15 दिन बाद ही रोज शराब पीकर आता था और पीड़िता से कहने लगता था कि तुझे नहीं रखूंगा मेरा किसी और से संबंध है उसी को घर लेकर आऊंगा। सास- ससुर द्वारा किए जा रहे प्रताड़ना को पति को बताए जाने पर घर से निकल जाने की धमकी देता था।

आवेदिका ने आवेदन में बताई है कि जब ससुराल में बहुत ज्यादा बात बिगड़ी तो वह ससुराल छोड़ 8 फरवरी 2016 को मायके में रहने लगी फिर ससुराल वालों ने परिवार न्यायालय तिलागढ़ (उड़ीसा ) के नारी शक्ति के माध्यम से समझौता किया और 11 जुलाई 2017 को अपनी गलती स्वीकार करते हुए और आगे से ऐसा हरकत नहीं करने की बात कहते हुए उसे साथ ले गए।

परंतु वे अपने आदत से नही बदले पीड़िता ने बताई है कि उसे दोबारा ससुराल लाने के बाद और अधिक प्रताड़ित किया जाने लगा जो कि 3 साल तक प्रताड़ना झेलती रही उसी बीच पीड़िता ने एक एक बेटी की जन्म दी । बेटी होने के 8 माह बाद ससुर ने पीड़िता को उसके मायके छोड़ दिया और बोला कि तू यहीं रह तुझे हम नहीं ले जाएंगे।

पीड़िता ने ने बताई है कि उसके पिता का घर एक गरीब परिवार से हैं जिनके पास रहने खाने की सुविधा नहीं है पीड़िता के ससुर ने छोड़ते वक्त कहा था कि तलाक होते तक तेरे खाने पीने और रहने की खर्च की व्यवस्था हम कर देंगे पर ऐसा नहीं हुआ।।


आख़िर 498-ए क्या है?

परिवार में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की प्रमुख वजहों में से एक दहेज के ख़िलाफ़ है ये क़ानून. इस धारा को आम ज़बान में 'दहेज के लिए प्रताड़ना' के नाम से भी जाना जाता है.

498-ए की धारा में पति या उसके रिश्तेदारों के ऐसे सभी बर्ताव को शामिल किया गया है जो किसी महिला को मानसिक या शारीरिक नुकसान पहुँचाये या उसे आत्महत्या करने पर मजूबर करे.

दोषी पाये जाने पर इस धारा के तहत पति को अधिकतम तीन साल की सज़ा का प्रावधान है.




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