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महासमुंद : महिला समूह को सामाजिक अंकेक्षण से हुई 12 लाख रुपए से ज्यादा की आमदनी, समूह सदस्यों में काफी उत्साह

महिलाओं की भागीदारी से शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को और अधिक पारदर्शिता के साथ मिल रहा

महासमुंद जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के माध्यम से ग्रामीण अंचल में अनेक परिसम्पत्तियों का निर्माण करवाया जाता है। इन कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कार्य शत्-प्रतिशत् समूह की महिलाओं द्वारा करवाया जा रहा है। महासमुंद जिले में चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में 545 ग्राम पंचायतों में सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) कार्य का लक्ष्य रखा गया। इस काम को जिले की 366 महिला स्व-सहायता समूहों ने भागीदारी निभाई और उन्हें इस काम में 12 लाख 32 हजार 700 रुपए की आमदनी हुई। समूह की इन महिलाओं ने अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर तीन माह उक्त पंचायतों के कामकाज के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) किया। इसके बदले काम में कार्यरत समूह की हर महिला को प्रतिदिन 350 रुपए की दर से राज्य कार्यालय सामाजिक अंकेक्षण  इकाई रायपुर द्वारा 12 लाख 32 हजार 700 रुपए सीधे उनके बैंक खातों में डाले गए। समूह की महिला सदस्यों में इसे लेकर काफी उत्साह है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. रवि मित्तल ने बताया कि कलेक्टर कार्तिकेया गोयल के निर्देशन में महिला समूहों को पंचायतों के कामकाज के सामाजिक अंकेक्षण में भागीदार बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जिले की महिला स्वसहायता समूहों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्हें मनरेगा और इंदिरा आवास योजना के तहत भौतिक सत्यापन, सामाजिक जवाबदेही, योजनाओं का लेखा परीक्षण, स्वीकृत कार्यों पर चर्चा, सोशल ऑडिट का आवश्यक दस्तावेजीकरण एवं प्रतिवेदन लेखन जैसे कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया है।


डॉ. मित्तल ने बताया कि महिला स्वसहायता समूह की भागीदारी से सामाजिक अंकेक्षण कार्य की गुणवत्ता में सुधार आया है और सोशल ऑडिट के कार्य में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित हो रही है। शासन की इस पहल से ग्राम सभाओं में महिलाओं की सहभागिता बढ़ रही है और ग्राम सभाएं सशक्त हो रही हैं। ग्राम सभाओं में महिलाओं की भागीदारी से शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को और अधिक पारदर्शिता के साथ मिल पा रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रशिक्षित महिलाएं स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में बातचीत करती हैं। इससे पंचायत स्तर पर ग्रामीणों से योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी प्राप्त करने में आसानी हो रही है। साथ ही लोगों को सामाजिक अंकेक्षण के उद्देश्यों और विभिन्न योजनाओं की जानकारी बेहतर ढंग से मिल रही है।

बतादें कि छत्तीसगढ़ राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार ने एक सार्थक पहल करते हुए महिला स्वसहायता समूहों को पंचायतों के कामकाज के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बना। तीन स्तरों वाली पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद यह राज्य सरकार का एक और महत्वपूर्ण कदम है।




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