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आखरी क्यों दुनिया भर में इतने करोड़ लोग होंगे बहरेपन का शिकार, यहां पढ़े वजह...

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वर्ल्ड रिपोर्ट ऑन हियरिंग में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि 2050 तक दुनिया भर में लगभग 250 करोड़ लोग को कुछ हद तक सुनाई न देने की समस्या होगी।

इनमें से कम से कम 70 करोड़ लोग ऐसे होंगे जिन्हें सुनाई न देने और कानों की समस्याओं को लेकर अस्पतालों में जाना पड़ेगा। आज भारतीय आबादी का बड़ा हिस्सा भी सुनाई न देने की समस्या से ग्रस्त है।

भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं मामले

डब्ल्यूएचओ के 2018 के आंकड़ों के अनुसार भारत में श्रवण दोष प्रसार लगभग 6.3 फीसद था। तब भारत में वयस्कों में बहरेपन का अनुमानित प्रसार 7.6 फीसद था और बाल्यावस्था में बहरेपन का प्रसार 2 फीसद था।

सामाजिक और आर्थिक हालात पर भी असर

आपको बता दे कि हमारी सुनने की क्षमता महत्वपूर्ण होती है। सुनाई न देने से लोगों के संवाद करने, पढ़ने और जीविकोपार्जन की क्षमता पर एक हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों को बनाए रखने की उनकी क्षमता पर भी प्रभाव डाल सकता है।

ज्यादातर गरीब देशों में ईएनटी विशेषज्ञों की कमी

कम आय वाले अधिकांश देशों में प्रति मिलियन आबादी में एक या उससे कम कान, नाक और गले (ईएनटी) के विशेषज्ञ हैं। प्रति मिलियन आबादी में एक या उससे कम ऑडियोलॉजिस्ट हैं। प्रति मिलियन आबादी में एक या उससे अधिक वाक् चिकित्सक हैं और प्रति मिलियन बहरों के लिए एक या उससे अधिक शिक्षक हैं।

उच्च अनुपात वाले देशों में भी इन विशेषज्ञों का असमान वितरण है। ये न केवल मरीजों की देखभाल के लिए संसाधन की कमी की चुनौतियों का सामना करते हैं, बल्कि इससे अन्य सेवाओं पर भी दबाव पड़ता है।





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