मन के हारे हार है मन के जीते जीत..........
डिप्रेशन या यूँ कहे मानसिक अवसाद एक ऐसी अवस्था होती है जो मुनष्य के न चाहते हुए भी मनुष्य कभी-कभी पूरी तरह से उससे घिर जाता हैं।डिप्रेशन या मानसिक अवसाद कुछ नही बल्कि एक प्रकार का गहरा दुख ही तो हैं।ऐसा दुख जिसका औरा इतना व्यापक व बड़ा होता है कि जिसमें व्यक्ति घूमता चला जाता हैं।
डिप्रेशन ,पैनिक अटैक सामान्यतः ऐसे व्यक्तियों को होता है जो बहुत भावुक होते है व दिमाग से कम दिल से ज्यादा सोचते है सरल भाषा में कहे तो इमोशनल व्यक्तित्व वाले लोगो को। यह मन की बीमारी होती है जिससे व्यक्ति के सम्पूर्ण मन में नेगेटिव औरे का संचार होता है और वह पूरी तरह से निगेटिविटी से घिर जाता हैं। ये डिप्रेशन किसी भी अवस्था में ,जीवन के किसी भी मोड़ पर आ सकता हैं ,जरूरी नही की यह सिर्फ गरीब या जिसने संकट का सामना किया हो ,जिसने कष्ट सहा हो उसी को डिप्रेशन हो।अमीर व्यक्ति या सेलिब्रिटीज को भी डिप्रेशन हो सकता हैं।
इसका कोई मूल कारण नही है।परन्तु जब यह होता है तब व्यक्ति खुद को बिल्कुल अकेला सा महसूस करता है।चुप चाप सा रहने लगता हैं।लोगो से मिलना जुलना बिल्कुल बन्द कर देता हैं।अंधेरे कमरे में अकेला रहने लगता हैं।खाना ग्रहण करना कम या बन्द कर देता हैं या बहुत ज्यादा खाने लगता है ।उसको किसी भी चीज में रुचि नही होती व उसे उसका जीवन नीरस लगने लगता हैं।
शरीर में भी उसके काफी बदलाव आते है उसके आँखों के नीचे डार्क सर्कल्स पड़ जाते है तो कभी उसका शरीर सामन्य तौर पर मोटा और बेडौल हो जाता हैं।दिन भर बैचनी व घबराहट होती है। सुसाइडल विचार आने लगते हैं।
डिप्रेशन या मानसिक अवसाद का यह कतई मतलब नही कि वह व्यक्ति जिसे यह हुआ हो वह बेहद कमजोर या बहुत लाचार हैं।जैसा कि मैंने पहले भी कहा है ये कभी भी किसी को भी हो सकता हैं।इसमें सबसे जरूरी बात है जब भी ऐसा लगे तो तुरंत साइकाइट्रिस्ट से सम्पर्क कर उनकी सलाह लेनी चहिये। उसको सभी चीज बतानी चहिये कि अंदर से हमें कैसा महसूस हो रहा हैं।
साइकाइट्रिस्ट से उसी लक्षण के अनुसार दवा लेनी चहिये और दवा के साथ साथ परिवार वालो के साथ ,दोस्तो के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चहिये। जब कभी सुसाइड करने का मन करे तो अपना ये ख्याल तुरन्त अपने सबसे नजदीकी पारिवारिक सदस्य से साँझा कर लेने में कोई हिचक नही होना चाहिए।जितना हो सके उतना कॉउंसलिंग करना चहिये।बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नही ये अधिकांश लोगों को होता है।काफी लोगो की मृत्यु का कारण भी डिप्रेशन ही है।अकसर हमे सुनते है फलां व्यक्ति ने सुसाइड कर लिया या फला व्यक्ति ट्रेन के सामने आ गया,ऊँचे माले से छलांग लगा दी ..आदि ।अंदर तक जाए तो इसका मूल कारण डिप्रेशन ही मिलेगा।
सुसाइड डिप्रेशन का कोई इलाज नही है बल्कि डिप्रेस व्यक्ति के लिए सुसाइड एक ऐसा चैलेंज है जिसे पारकर अपने खुशहाल जीवन में वापस लौटना ही उसकी विनिंग इनिंग हैं।पर दुखद है कि लोग कम जानकारी के चलते इस इनिंग को पूरा नही खेल पाते और मौत का विकल्प चुन लेते हैं। आज लाखों लोग डिप्रेशन के चलते जिंदगी से हार रहे है।डिप्रेशन की अज्ञानता को समाप्त कर उसके प्रति जागरूक होकर ही काफी लोगो की जिंदगी बचाई जा सकती हैं।
पुनः पहली पँक्ति को दोहराता हूँ कि.......
मन के हारे हार है मन के जीते जीत..........
~निशांत शर्मा●●●✍️