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सरायपाली : दो साल पहले 43 करोड़ हुए थे स्वीकृत अभी तक नहीं बन पाया सड़क

सरायपाली शहर से बैदपाली रोड़ साजापाली तक 13 किलोमीटर पहुच मार्ग डामरीकृत सड़क विगत 6 वर्षो से इतना जर्जर हो चुका है कि उक्त सड़क में डामर ही गायब हैं । लगभग 3-4 वर्ष पूर्व लोकसुराज अभियान के तहत पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का अचानक जम्हारी आगमन हुआ था. तभी तात्कालीन भाजपा मंडल अध्यक्ष एवं ग्रामीणों की मांग पर उनके द्वारा सड़क के लिए 43 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये थे. जिसके लिए दो बार टेंडर भी हुआ था जो निरस्त हो गया . शासन बदलते ही कार्य अधर में लटका हुआ है । यह मार्ग 20 से 25 गाँव को जोड़ता है ओर प्रतिदिन सैकड़ो मजदूरों का शहर के लिये इसी मार्ग से आवाजाही होता है ।

 मार्ग जर्जर होने के कारण ग्रामीणों को 10 किलोमीटर दूरी के लिये 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है । निकट भविष्य में शासन अगर जर्जर सड़क को नही बनाती हैं तो क्षेत्र के ग्रामीणों ने आमरण अनशन करने की बात कही है. बैदपाली से साजापाली 13 किलोमीटर पहुच मार्ग इतना उबड़ खाबड़ है कि उक्त सड़क में दो पहिया और चार पहिया वाहन चालक हिचकोले खाते हुये सफर करते हैं. इस मार्ग की बदहाल स्थिति को देखते हुए तात्कालीन सीएम रमन सिंह द्वारा करोड़ो रूपये स्वीकृत किया गया था, जिसमे 11 करोड़ रोड़ चौड़ीकरण में मुआवजा देना था. मुआवजा के लिये लाभान्वित होने वाले लोगो को ना ही चिन्हित किया गया है और ना ही राजस्व विभाग द्वारा उनके जमीन का सीमांकन किया गया है। जिसके कारण मुआवजा प्रकरण भी नहीं बना और कार्य आगे नहीं बढ़ा. इस बीच शासन भी बदल गया। मुंधा के ग्रामीणों ने बताया कि उबड़ खाबड़ रोड़ होने के कारण वे लोग बानिगिरोला होते हुए नहीं बल्कि 10 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर दुलारपाली होते हुए सरायपाली पहुँचते हैं. शासन द्वारा जल्द नए सड़क की स्वीकृति नहीं दिये जाने पर ग्रामीणों ने आंदोलन करने की भी संकेत दिये हैं।




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