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महासमुन्द: ऑगनबाड़ी केन्द्र तमोरा में स्वास्थ्य एवं पोषण शिविर का आयोजन

आयुर्वेदिक पद्धति के बताए गए फायदे

महासमुन्द: कुपोषण के खात्मे के लिए कई तरह की राज्य और केन्द्र सरकार स्तर पर योजनाएं चलायी जा रही है। राष्ट्रीय पोषण अभियान 1 से 7 सितम्बर तक चला। उसके बाद राष्ट्रीय पोषण माह 30 सितम्बर तक चल रहा है। तमोरा के ऑगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक 1 में आयुर्वेदिक औषधालय द्वारा स्वास्थ्य एवं पोषण शिविर आयोजित किया गया। इसमें पॉच ऑगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक 1, 2, साल्हेभाठा, तमोरी और ठोंगा ऑगनबाड़ी केन्द्र के कार्यकर्ता, सहायिका, बच्चे, गर्भवती महिला और शिशुवती माता एवं बालिका हितग्राही शामिल हुए।

आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिला, कुपोषित बच्चों और शिशुवती माताओं को आयुर्वेदिक पद्धति से कैसे जीवन शैली हो के साथ ही खान-पान, दिनचर्या, योगासन और प्राणायाम के फायदें बताए गए। इसके साथ ही स्थानीय औषधि पौधों के बारे में भी जानकारी दी गयी। इस मौके पर ऑगनबाड़ी परिसर में अड़ूसा (वासा) औषधि पौधों का रोपण किया गया एवं इस पौधें की उपयोगिता के बारे में भी बताया गया। इस माह की पहली तारीख को लोगों को जागरूक करने सुपोषण रथ को रवाना किया गया है। जो जिले के सभी विकासखण्डों के विभिन्न ग्रामों में सुपोषण के प्रति लोगों को जागरूक कर रहा है।

मालूम हो कि महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर की बेहतरी के उद्देश्य से इस वर्ष भी सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य जन आंदोलन और जनभागीदारी से कुपोषण को मिटाना है। पोषण माह का मुख्य उद्देश्य अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित और उनकी मॉनिटरिंग करना तथा दूसरा किचन गार्डन को बढ़ावा देने के लिए पौधारोपण अभियान है। पूरे छत्तीसगढ़ सहित महासमुंद ज़िले में कुपोषण एवं एनीमिया कमी लाने के उद्देश्य से प्रदेश में एक से 30 सितम्बर तक जन-आंदोलन के रूप में राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी एवं मैदानी अमलांे केे द्वारा बच्चों और महिलाओं को लाभान्वित करने के लिए कार्य कर रहें है। उनके द्वारा कोविड के समय पर भी बच्चों एवं गर्भवती माताओं को रेडी-टू-ईट, पोषण आहार, राशन, गरम भोजन दिलाने का कार्य बड़े ही जिम्मेदारी पूर्वक की गई। बच्चों एवं शिशुवती माताओं को सुपोषित करने का प्रयास भी लगातार किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग बच्चें के जन्म लेने से पूर्व एवं बाद में भी उनके स्वास्थ्य का देखभाल करने में जुट जाता है। गर्भवती माताएं एवं उनके बच्चें कुपोषित न हो इसके लिए ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं मितानिन हितग्राहियों से घर-घर जाकर लगातार सम्पर्क करती है। जिससे उनके स्वास्थ्य सही तरीके से रहे।




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