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नवरात्रि में कन्या पूजन का क्या है महत्व? जानें उम्र के हिसाब से Kanya Pujan के लाभ

देवी दुर्गा ( Devi Durga) की आराधना के साथ शारदीय नवरात्रि चल रही है। घट स्थापना के साथ शुरू हुई नवरात्रि कन्या पूजन के साथ समाप्त होती है। नवरात्रि के 8 वें और 9 वें दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार नवरात्रि 8 दिनों की है। आज यानि मंगलवार 12 अक्टूबर को सप्तमी तिथि और व्रत के साथ अष्टमी 13 अक्टूबर के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) और नवमी 14 अक्टूबर को कन्या की पूजा की जाती है। बिना कन्या पूजन के नवरात्रि और मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। Also Read - 14 October 2021 Ka Rashifal: इन राशियों को रहना होगा अलर्ट, 2 राशियों के सितारे रहेंगे बुलंद, जानिए अपना आज का राशिफल कन्या पूजा एक अवसर होता है जब आप छोटी बच्चियों के रूप में देवी की पूजा कर सकते हैं। एक भक्त के रूप में आपके पास विश्वास, पवित्रता और समर्पण होना चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें लड़कियों के रूप में न देखें।

कन्या पूजन से मां दुर्गा अति प्रसन्न होती हैं. शास्त्रों में 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कुमारी कन्या के पूजन का विधान बताया गया है. आइए जानते हैं कि किस वर्ष की कन्या के पूजन से भक्तों को क्या लाभ होता है?

  • श्रीमद्देवीभागवत के प्रथम खण्ड के तृतीय स्कंध में 2 वर्ष की कन्या को 'कुमारी' कहा गया है. इनकी पूजा करने से भक्तों के दु:ख और दरिद्रता का नाश होता है. धन, आयु एवं बल में वृद्धि होती है.
  • तीन वर्ष की कन्या को 'त्रिमूर्ति' कहते हैं. इनके पूजन से धर्म, अर्थ, काम की पूर्ति होती है. इसके अलावा धन और पुत्र-पौत्र की वृद्धि होती है.
  • चार वर्ष की कन्या को 'कल्याणी' कहा गया है. इनके पूजन से विद्या, विजय, राज्य तथा सुख की प्राप्ति होती है.
  • पांच वर्ष की कन्या को 'कालिका' कहा गया है. इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है.
  • छह वर्ष की कन्या को 'चंडिका' कहा गया है. इनके पूजन से ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति होती है.
  • सात वर्ष की कन्या को 'शाम्भवी' कहा गया है. इनकी विधि पूर्वक पूजा से लड़ाई एवं वाद-विवाद समाप्त होता है.
  • आठ वर्ष की कन्या को 'दुर्गा' का स्वरूप माना गया है. इनके पूजन से परलोक में उत्तम गति और साधना में सफलता प्राप्त होती है.
  • नौ वर्ष की कन्या को 'सुभद्रा' कहा गया है. इनके पूजन से जटिल रोगों का नाश होता है.
  • 10 वर्ष की कन्या को 'रोहिणी' कहा गया है. इनके पूजन से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.

बंगाल में ये विशेष रूप मनाया जाता है जहां दुर्गा पूजा बहुत भक्ति के साथ की जाती है। इन छोटी बच्चियों में अहंकार नहीं है, इसलिए इनमें देवी के स्वरुप को देखना बहुत आसान हो जाता है। जो माता के भक्त होते हैं वे अगर कन्या पूजन को पूरी ईमानदारी से करें, ना निभाएं औपचारिकता ,तभी खुश होगी मां दुर्गा। Also Read - 13 October 2021 Ka Rashifal : इन राशियों को हो सकता है पैसे और सेहत का नुकसान, जानिए अपना आज का राशिफल कन्या पूजन की विधि क्या है अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करने करें। इससे पहले हवन कर लें और फिर दुर्गा देवी को हलवा पूड़ी और चने का प्रसाद चढायें। और फिर छोटी-छोटी 9 कन्याओं को पैर धो कर कुमकुम तिलक लगाकर घर में भोजन करवायें। कन्याओं को सबसे पहले एक साथ बैठाकर उनके पैर एक थाली में धोए जाते हैं। इसके बाद उन्हें कलावा बांधकर तिलक लगाया जाता है, फिर भरपेट भोजन कराया जाता है।

 आखिर में कन्याओं को नारियल, फल और दक्षिणा और कहीं, कहीं चूड़िया और बिंदी भी दी जाती है। कन्या पूजन का मुहूर्त कब है

 

योग अष्टमी को कन्या पूजा का मुहूर्त 13 अक्टूबर दिन बुधवार को पूजा के अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM तक और ब्रह्म मुहूर्त– 04:48 AM से 05:36 AM तक है। नवमी को कन्या पूजा का मुहूर्त 14 अक्टूबर दिन गुरुवार सुबह 06 बजकर 52 मिनट के बाद नवमी तिथि लग जाएगी। जिसके बाद नवमी तिथि में कन्या पूजन और हवन किया जा सकेगा। कन्या पूजन में दें ये चीजें दान पूरी होगी इच्छा नवरात्रि में आपकी हर समस्या का समाधान मां दुर्गा करती है। साथ मे उर्जा और शक्ति का संचार करती है। अगर आपके दिल में कोई इच्छा है तो कन्याओं कों लाल-सफेद फूल दें। वस्त्र, फल और खीर खिलाने से माता रानी की आसीम कृपा बनी रहती है। इसके अलावा श्रृंगार सामग्री , खेलने पढ़ने की चीजे देने से मां दुर्गा प्रसन्न रहती है और देने और लेने वाले दोनों व्यक्ति पर मां शेरेवाली की कृपा बरसती है। कन्याओं को मेहंदी भी उपहार स्वरुप देना चाहिए।

कन्या पूजन से करें अंदर का अहंकार खत्म आपके अंदर या तो आपका अहंकार रह सकता है या भगवान। अहंकार-भगवान दोनों एक साथ नहीं रह सकते। जब आपके अंदर से अहंकार पूरी तरह निकल जाता है तब आप दैवीय उर्जा को मानते हैं। भक्ति के मार्ग का उद्देश्य है कि अपने अहंकार को भगवान के सामने छोड़ दें और अपने जीवन का नियंत्रण भगवान के हाथों में दे दें। कन्या पूजन में करें कंजक पूजा जब आप भक्ति के मार्ग पर चलते हैं तो आपको अपना अहंकार त्यागने के लिए किसी माध्यम, माफी या अवसर की आवश्यकता होती है। कंजक पूजन ऐसा ही एक अवसर है जो साल में दो बार आता है(शरद नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि)।शास्त्रों में कहा गया है कि पूरी सृष्टि शिव और शक्ति का स्वरुप है। छोटी लड़कियां मासूम और शुद्ध होती हैं। वे मनुष्य के रूप में देवी के शुद्ध रूप का प्रतीक हैं। हिंदू धर्म के अनुसार कुंवारी लड़की शुद्ध बुनियादी रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है।

मूर्ति की पूजा से पहले इसकी प्राण प्रतिष्ठा करके देवी की शक्ति का आह्वान किया जाता है। कन्या पूजन- छल-कपट से परे है छोटी कन्याएं कहते हैं कि जो छोटी कन्याएं होती है वो देवी का रुप होती है उनमें छल-कपट नहीं होता। ये कन्याएं स्त्री ऊर्जा का चरम होती है। इसके अलावा उनमें अहंकार नहीं होता और वे मासूम होती हैं। इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि कन्या पूजा के दौरान आप इन छोटी लड़कियों में देवी माता की शक्ति का अनुभव कर सकते हैं। नवरात्रि के दौरान आप कितने समर्पण के साथ देवी माता को याद करते हैं। यदि छोटी लड़कियों की पूजा करते समय यदि आप समग्र भाव से उनमें देवी का स्वरुप देखें या स्वयं को पूर्ण रूप से उनके चरणों में समर्पित कर दें तो आपको लगेगा कि आपने देवी के चरण छू लिए हैं।




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