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सरायपाली : भेड़-बकरियों की तरह ठूंस ठूंस कर वाहन मालिक बच्चों को ले जा रहे स्कूल

दो वर्ष बाद वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को कम होते देख सरकार द्वारा कोरोना गाईडलाईन का पालन करते हुए विद्यार्थियों की शत प्रतिशत उपस्थिति होने को हरी झंडी दी गई है। प्रशासन के इस आदेश का स्कूल विभाग द्वारा कोरोना दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अध्यन अध्यापन का कार्य चालू हो गया है ।परंतु विद्यालय आने जाने के लिए 11वीं एवं 12वीं के छात्र-छात्राओं द्वारा दोपहिया वाहनों का उपयोग भी कई विद्यालयों में देखने मिल रही है,लेकिन सबसे ज्यादा मनमानी निजी वाहन चालकों द्वारा की जा रही है। अपने निजी वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाकर स्कूल लाने ले जाने का काम हो रहा है जो कि बच्चों की जान को जोखिम में डाला जा रहा है।फिलहाल इनको रोक-टोक करने के लिए स्थानीय प्रशासन कमजोर साबित हो रहा है। और इधर निजी वाहन चालकों की मनमानी लगातार बढ़ती जा रही है। प्रत्येक गांव के रूट से निर्धारित संख्या सीट से अधिक क्षमता में उनके द्वारा बच्चों को वाहनों में लाद कर बिना कोई मापदण्ड पूरा किए विद्यालय तक पहुंच रहें हैं। जिसके चलते स्कूल प्रबंधन की सांसे भी फूल रही है। स्कूल प्रबंधन को हमेशा बच्चों के साथ कुछ अनहोनी होने का डर सता रही है।निजी वाहन चालकों को स्कूल प्रबंधन द्वारा कई बार समझाइश देने के बावजूद भी उनके समझाइश को दरकिनार करते हुए बात मानने को तैयार नहीं हैं। साथ ही साथ प्रशासन के दिशा-निर्देशों को दरकिनार करते हुए निजी वाहन चालकों द्वारा इस प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं कि उनकी मनमानी साफ नजर आ रही है। आने वाले समय में मामला को गंभीरता से नहीं लिया गया तो बच्चों के साथ कुछ भी गंभीर हादसा हो सकती है जिसके लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे। इस मामले की जानकारी से आरटीओ विभाग द्वारा अपनी सुस्ती त्यागते हुए एक कार्यवाही तो की गई है लेकिन कार्यवाही नाकाफी साबित हो रही है। जिस दिन कार्यवाही की गई है उसके अगले दिन आज पर्यंत वही मामला देखने को मिली। निजी वाहन चालक के कार्यशैली में कोई भी परिवर्तन नहीं आ रही है, इनकी मनमर्जी अभी तक लगातार चल रही है। जिससे निजी वाहन में सवार होकर आने वाले विद्यार्थियों की जान खतरा में है। इन पर पूरी तरह पालकों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की जा रही है। इधर पालक भी पेशोपेश में हैं कि वे वाहन चालकों को बराबर पैसे दिए जाने के बावजूद भी उनके बच्चों को निजी वाहन चालक इस तरह से भेड़ बकरी की तरह लाद कर लिए जा रहे हैं, जो कि पूरी तरह से गलत हो रही है। पालक कभी नहीं चाहते कि उनके बच्चों का जान जोखिम भरा हुआ हो।

इस मामले पर एकलव्य इंग्लिश स्कूल के संचालक से चर्चा किए जाने पर उन्होंने बताया कि इस समय विद्यालयों में अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारियां जोरों पर है। दसवीं एवं बारहवीं के विद्यार्थियों के लिए एक-एक दिन बहुत कीमती है। जिसके चलते हमारे स्कूल के शिक्षकों द्वारा अवकाश के दौरान भी विद्यार्थियों के हित में अपने परिवार को समय ना देकर ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही है। विद्यालय प्रबंधन की ओर से पालकों और विद्यार्थियों के सुविधा को ध्यान में रखते हुए स्कूल आने जाने हेतु स्कूल बस का संचालन भी निजी स्कूलों द्वारा की गई है, जिसमें एक ड्राइवर और एक कंडक्टर के साथ सीसी टीव्ही कैमरा भी लगा हुआ है।जिसका उपयोग विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिये सुनिश्चित किया जा सकता है।




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