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छत्तीसगढ़ में भी संसदीय सचिवों की विधायकी रद्द करने की मांग

रायपुर। दिल्ली में संसदीय सचिव के मामले में फैसला आने के बाद छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिवों को जोरदार झटका लगा  है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के 11 संसदीय सचिवों को हटाने और उनकी विधायकी रद्द करने की मांग की है।


यह सवाल आप के प्रदेश संयोजक डॉ संकेत ठाकुर ने उठाया है कि जिस प्रकार दिल्ली की कोर्ट जब विधायकों को अयोग्य करार दे सकती है  तो छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव लाभ के पद पर बने रहने वाले 11विधायक अयोग्य क्यों नहीं ? यह केंद्र सरकार का दोहरे मापदंड का जीता जागता उदाहरण है।


वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अकबर का कहना है  कि उन्होंने राज्यपाल से इन नियुक्तियों को अवैध बताते हुए रद्द करने और विधायकी खत्म करने का 22 आवेदन दिया था। जिस पर उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की तो उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखा. उनका कहना है कि चुनाव आयोग के पत्र को वो तभी सार्वजनिक करेंगे जब चुनाव आयोग का दिल्ली के मामले में रुख सामने आएगा। अकबर ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। संसदीय सचिवों के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट में उन्होंने दो याचिकाएं लगाई हैं।


हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देकर संसदीय सचिवों को सरकार द्वारा प्रदत्त सभी अधिकारों पर रोक लगा दी थी। यह आदेश एक अगस्त को दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सभी सुविधाएं दी जा रही हैं।



11 संसदीय सचिवों की सूची


रूपकुमारी चौधरी, लखन लाल देवांगन, मोतीराम चंद्रवंशी, लाभचंद बाफना, शिवशंकर पैकरा, सुनीति अंबेश जांगड़े,तोखन लाल साहू, चंपा देवी पावले, गोवर्धन सिंह मांझी, राजू सिंह क्षत्रिय, सत्यानंद राठिया ।






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