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1882 में बनाया गया सरायपाली थाना, जाने क्या है इसका इतिहास.

महासमुंद जिले के अंतिम छोर में बसा व्यावसायिक दृष्टिकोण से एक बड़ा नगर सरायपाली के इतिहास के साथ इसके पुलिस थाना का भी इतिहास अत्यंत ही पुराना है। 

सरायपाली थाना में एक पटल पर सरायपाली थाना के इतिहास की जानकारी दी गई है, जो कि अत्यंत ही रोचक है। महाभारत से लेकर अग्रेजों और ओड़िशा से इसका इतिहास जुड़ा हुआ है। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि कुछ इतिहास की जानकारी अब समाप्त हो चुकी है।

थाना के पटल पर महाभारत में चन्द्रवंशी क्षत्रियों के राज्य और  शिशुपालगढ़ को इसका प्रतीक बताया गया है, लेकिन शिशुपाल का इतिहास अब शायद ही इस क्षेत्र के लोग जानते होंगे।

आरक्षी क्षेत्र सरायपाली महासमुंद जिले की सीमा का अंतिम थाना है। इसके उत्तर में थाना सरसींवा जिला बलौदाबाजार, थाना सारंगढ़ जिला रायगढ़, पूर्व में ओडिशा के थाना सोहेला, दक्षिण में थाना मेल्छामुंडा थाना पदमपुर है। पश्चिम में थाना बसना जिला महासमुंद की सीमाऐं लगती है। 

ऐतिहासिक दृष्टि से यह प्राचीन कालीन देश का ही उप प्रान्त रहा है। जिसका क्षेत्रफल 1060 वर्गमील था। पूर्व में यह थाना रायपुर जिला में था जो 6 जुलाई 1998 को जिला महासमुंद के अस्तित्व के आने से जिला महासमुंद में है।

महाभारत में चन्द्रवंशी क्षत्रियों का राज्य रहा, शिशुपालगढ़ इसका प्रतीक है। जगन्नाथपुरी की तीर्थयात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु भारतीय सहस्त्र वर्षों से इस मार्ग पर चलते रहे हैं। यहां व्यापार बंजारा (नायक) तथा पणियों (पनिका) द्वारा संचालित था।

स्थानीय तौर पर राज्य सत्ता गोंड़ सामंतो के अधिकार में रही, यह सम्पूर्ण क्षेत्र गढ़फुलफर के नाम से विख्यात है, जिसमे 752 ग्राम थे । यहाँ के राजा बस्तीपाली में रहते थे यहाँ की विधवा रानी गोंड़ जमीदार के पूर्वज को गोद लिया था।

वर्ष 1961 से संबलपुर, रायपुर, बिलासपुर जिले बनाये गए थे। अत्याचारी अंग्रेज सेना के मृत सैनिकों को जब फुलझर जमींदार ने अपने क्षेत्र में गाढ़ने से रोका तो सारंगढ़ के गोंड़ सामंत ने इनको अपने क्षेत्र में दफन कराया।

वर्ष 1865 के बाद से विधिवत शासन स्थापित हो सका उसी समय 1882 में सरायपाली थाना बनाया गया जो सम्बलपुर ओड़िशा में था बसना चौकी इसके अधीन था।

वर्ष 1895 में पुलिस व्यवस्था का पुनर्गठन किया गया । अक्टूबर 1903 से सरायपाली क्षेत्र में 260 ग्राम है। थाना के अधीन बलौदा चौकी है। अक्टूबर 1903 में सरायपाली व बसना क्षेत्र रायपुर जिले में मिला दिया गया था। उसी वर्ष थाना का भवन बनकर तैयार हुआ।

6 जुलाई 1998 को जिला पुर्नगठन के तहत महासमुंद को अलग जिले का दर्जा दिया गया और इसी दिन महासमुंद जिला अस्तित्व में आया। 1 नवंबर 2000 को राज्य पुर्नगठन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य मध्यप्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया और नए राज्य का शुभारंभ हुआ।




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