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कौन सी तारीख को है देवउठनी एकादशी, जानें पूजा एवं पारण का सही समय

सनातन परंपरा में प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशियों में कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली देवउठनी एकादशी को बहुत ज्यादा शुभ और फलदायी माना गया है.

देवउठनी एकादशी को हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य एवं ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय के अनुसार इस साल देवउठनी या फिर कहें देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व 04 नवंबर 2022, शुक्रवार को मनाया जाएगा. आइए इस इस पावन पर्व का शुभ मुहूर्त और पूजा का धार्मिक महत्व जानते हैं.


देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

पंडित दीपक मालवीय के मुताबिक इस साल देवउठनी एकादशी तिथि (देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार) 03 नवंबर 2022, गुरुवार की शाम को 07:30 बजे से प्रारंभ होकर 04 नवंबर 2022, शुक्रवार को सायंकाल 06:08 बजे तक रहेगी. 

सूर्योदय व्यापिनी तिथि को ध्यान में रखते हुए इस साल देवउठनी या फिर कहें हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत का 04 नवंबर 2022 को ही रखा जायेगा. वहीं इस व्रत का पारण 05 नवंबर 2022 को प्रात:काल 06:36 से 08:47 के बीच किया जा सकेगा. पं. दीपक मालवीय के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु (शालिग्राम) एवं माता तुलसी के विवाह के लिए उत्तम पूजन का मुहूर्त सायंकाल गोधूलि बेला में है.

देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यता के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, उस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी को अपने शयनकाल को पूर्ण करके निद्रा से जागते हैं. विदित हो कि इस साल देवशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 को पड़ी थी और उसके बाद भगवान विष्णु के शयन करते ही सभी शुभ कायों पर रोक लग गई थी. अब 04 नवंबर 2022 को जब भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जगेंगे तो सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, यज्ञ इत्यादि मांगलिक कार्य एक बार फिर से प्रारंभ हो जाएंगे

देवउठनी एकादशी का पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस मनोरथ का फल त्रिलोक में ना मिल सके वह देवोत्थान एकादशी का व्रत करके प्राप्त किया जा सकता है, देवोत्थान एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान शालिग्राम एवं तुलसी माता का विवोहत्सव का पर्व मनाया जाता है

 देवउठनी एकादशी पर जगत के पालनहार की विशेष पूजा करके उन्हें नींद से जगाया जाता है. खास बात यह कि इसी दिन चातुर्मास व्रत भी समाप्त हो जाता है. मान्यता है कि कार्तिक मास में श्रीहरि जल में निवास करते हैं. ऐसे में इस दौरान गंगा स्नान, पूजा में प्रयोग और उसका सेवन करना अत्यंत ही शुभ माना गया है.




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