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फोन बंद कर दफ्तर से गायब रहने वाले IAS पर गिरी गाज

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने फोन बंद कर दफ्तर से गायब होने के मामले में IAS अफसर आशीष माधवराव मोरे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही 24 घंटे के अंदर जवाब भी माँगा हैं। जवाब ना देने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी गई है।पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दिल्ली सरकार को सर्वसम्मति से दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार केजरीवाल सरकार को दे दिया था। हालांकि जमीन, कानून और पुलिस विभाग में दिल्ली सरकार की दखलअंदाजी नहीं होगी। इसमें उपराज्यपाल के आदेश मानने के लिए दिल्ली सरकार बाध्य है। जिसके बाद अगले ही दिन 12 मई को सर्विसेज डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी आशीष माधव राव मोरे का तबादला दिल्ली सरकार ने कर दिया था। हालांकि इस तबादले पर अमल नहीं हो पाया। दिल्ली सरकार इस जगह एजीएमयूटी कैडर के 1995 बैच के अफसर अनिल कुमार सिंह को पोस्टिंग देना चाहती थी।



मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रशासनिक फेरबदल की तैयारी में सर्विसेस सचिव आशीष मोरे को सर्विसेस विभाग के सचिव के पद पर नए अधिकारी के पोस्टिंग के लिए फाइल पेश करने के निर्देश दिए थे। दिल्ली में सारे ट्रांसफर पोस्टिंग सर्विसेज विभाग से ही होंगे। मंत्री ने सर्विसेस विभाग के सचिव आशीष माधवराव मोरे के स्थान पर नए सचिव की पोस्टिंग करना चाहते थे। इस पर मोरे ने सहमति भी जताई थी। जिसके लिए मंत्री के द्वारा नोटशीट चलाकर फाइल मंगाने पर उन्होंने मंत्री सौरभ भारद्वाज के सामने फाइल पर नहीं की और बिना किसी को सूचना दिए सचिवालय छोड़ कर चले गए। जिसके चलते उन्हें नोटिस जारी किया गया है। जारी नोटिस में कहा गया है कि आपने जानबूझकर फोन कॉल का जवाब नहीं दिया और स्विच ऑफ कर लिया। आपके घर पर ऑफिशियल नोट भी भेजा गया था। पर घर में मौजूद होते हुए भी आपने नोट रिसीव नहीं किया। इसके चलते क्यों ना आप के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाए?नोटिस में बताया गया है कि आईएएस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन किया है और उनके निर्देशों को लागू नहीं करवाया। जिसके चलते उन्होंने अदालत के आदेश की भी अवमानना की है। वही सर्विसेस विभाग के सचिव आशीष माधवराव मोरे ने अपने अधीनस्थ स्पेशल सेक्रेट्री के माध्यम से एक नोट जारी करवा दिया कि गृह मंत्रालय के निर्देश नहीं आए हैं इसलिए अभी मिनिस्टर के निर्देश लागू नहीं किए जा सकते हैं। जारी नोटिस में मोरे को 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा गया है। उन्हें ईमेल और व्हाट्सएप के जरिए नोटिस भेजा गया है।काफी समय से दिल्ली में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच अधिकारियों की तैनाती और तबादले को लेकर तनातनी चल रही थी। कानून के मुताबिक राज्य में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग सभी डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी के जरिए होती थी। वहां से फाइल चीफ सेक्रेटरी को जाती थी और फिर एलजी को। ट्रांसफर पोस्टिंग में राज्य सरकार की कोई दखलंदाजी नहीं थी। ट्रांसफर आदेश जारी होने के बाद दिल्ली सरकार को अधिकारियों के पदस्थापना की जानकारी मिलती थी। जिसके खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे मांग की थी कि तबादलों का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए ना कि एलजी को। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा 2021 में गवर्नमेंट आफ एनसीटी आफ दिल्ली एक्स में संशोधन कर दिल्ली के उपराज्यपाल को दिए गए अतिरिक्त अधिकार को लेकर भी प्रश्न उठाया था। जिसमें 11 मई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया था। हालांकि जमीन व पुलिस से संबंधित मामले व कानून से संबंधित मामलों में दिल्ली सरकार का हस्तक्षेप नहीं होगा। जिसके अगले ही दिन 12 मई को दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के सचिव आशीष माधवराव मोरे का तबादला कर एजीएमयूटी केडर के अनिल सिंह को पोस्टिंग दी पर इस आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया है।




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