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बसना : आदिवासीयों की कला, संस्कृति और परंपरा छत्तीसगढ़ की पहचान- डॉ. रविराज ठाकुर

बसना विकासखंड कुड़ेकेल में आदिवासी समाज के लोगों ने विविध आयोजन के साथ धूमधाम से मनाया विश्व आदिवासी दिवस। इस दौरान अतिथि के रूप शामिल बसना एसडीएम डॉ. रविराज ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ और आदिवासी एक-दूसरे के पर्याय हैं। छत्तीसगढ़ के वन और यहां सदियों से निवासरत आदिवासी राज्य की पहचान रहे हैं। प्रदेश के लगभग आधे भू-भाग में जंगल है। जहां छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिम संस्कृति फूलती-फलती रही है। प्रदेश में 42 अधिसूचित जनजातियों और उनके उप समूहों का वास है। 

प्रदेश की सबसे अधिक जनसंख्या वाली जनजाति गोंड़ है जो सम्पूर्ण प्रदेश में फैली है। राज्य के उत्तरी अंचल में जहां उरांव, कंवर, पंडो जनजातियों का निवास हैं वहीं दक्षिण बस्तर अंचल में माडिया, मुरिया, धुरवा, हल्बा, अबुझमाडिया, दोरला जैसी जनजातियों की बहुलता है। छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है, जो उनके दैनिक जीवन तीज-त्यौहार एवं धार्मिक रीति-रिवाज एवं परंपराओं से ही छत्तीसगढ़ की पहचान बनी हुई हैं।उद्यानिकी अधिकारी उपेन्द्र नाग ने कहा कि संविधान में जो अधिकार आदिवासियों को दिए गए हैं। उनका पालन सुनिश्चत करें। ताकि समाज का विकास हो सके। इसके लिए सभी आदिवासीयों की एकजुटता के साथ परस्पर सहयोग करते हुये शिक्षा और स्वरोजगार के साथ उन्नत कृषि के क्षेत्र में भी आगे आना होगा। इस दौरान नायब तहसीलदार ललित सिंह, उद्यानिकी अधिकारी उपेन्द्र नाग, कौशिक सर ठाकुर सर, शिक्षक सरविन्द सिदार, सरपंच प्रतिनिधि श्रवण सिदार,रवि मांझी, पवन सिदार, प्रेम सिंग जगत, बनखंडी सिदार, तेज़ सिंग जगत, पहलवान सिदार,प्रीतम जगत, बलीराम यादव, प्रहलाद पटेल, दसिया यादव सहित बड़ी संख्या में लोगो की उपस्थिति रही।




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