सरायपाली : सत्ता में प्रतिनिधित्व देने के मामले में कांग्रेस से भाजपा बेहद पिछे, क्या सरायपाली को मिलेगा विष्णु का आशीर्वाद
अनुराग नायक। सरकार में प्रतिनिधित्व के मामले में सरायपाली विधानसभा क्षेत्र हमेशा उपेक्षित रहा है। जिससे न केवल सरायपाली विधानसभा का विकास प्रभावित हुआ है बल्कि संगठनात्मक रुप से सत्तारूढ़ दल भाजपा सरायपाली विधानसभा क्षेत्र में बेहद कमजोर बना हुआ है। इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो वही लोग जाने पर कहा जाता है कि कुछ लोग अपनी ही चले इसलिए सरायपाली विधानसभा क्षेत्र में जानबूझकर संगठन को मजबूत नहीं करना चाहते ? वैसे भी संगठनात्मक क्षमता के मामले में भाजपा के पास नेताओं की कमी नहीं है। मौजूदा दौर में सोशल मीडिया भी लोकप्रियता का एक पैमाना है किन्तु ऐसे कार्यकर्ता भी है जो सोशल मीडिया के तामझाम और प्रचार प्रसार से दूर रहकर पर्दे के पिछे रहकर पार्टी को लगातार मजबूत करने में जुटे हुए हैं। हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि ऐसे पराक्रम वाले कार्यकर्ताओं की अपेक्षा अपने आकाओं की परिक्रमा करने वाले कार्यकर्ताओं को आजकल राजनीति में अधिक सफल देखा जाता है।
गौरतलब है कि निगम मंडलों में नियुक्ति को लेकर पिछले दिनों एक कथित सूची वायरल हुई जिसके बाद एक बार फिर सूची में विधानसभा क्षेत्र सरायपाली की उपेक्षा होती दिखाई पड़ रही है। हालांकि राहत की बात यह रही कि इस कथित सूची में भंवरपुर क्षेत्र के एक युवा नेता का नाम एक आयोग अध्यक्ष के रूप में था।
जानकार बताते हैं कि 15 साल छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार रही जिसमें सिर्फ एक बार श्रीमती नीरा चौहान को अनुसूचित जाति आयोग का सदस्य बनाया गया था जो कि 2008 विधानसभा चुनाव में सरायपाली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रहे। किंतु भाजपा सरकार में न उसके पहले या फिर बाद में कभी भी इस क्षेत्र को निगम मंडलों में प्रतिनिधित्व मिला ही नहीं। 2018 में जब भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी तो जिस तरह छप्पड़ फाड़ कर जनादेश मिला उसी तरह तात्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी महासमुंद जिले को और खासकर सरायपाली विधानसभा क्षेत्र को निगम मंडलों में काफी तवज्जो दिया था। इसका नतीजा यह हुआ कि 2003 के बाद से इस क्षेत्र में किसी भी पार्टी को लगातार दो बार जनादेश नहीं मिला था लेकिन भूपेश सरकार में निगम मंडलों में प्रतिनिधित्व मिलने पर 2018 के बाद 2023 के विधानसभा चुनाव में सरायपाली विधानसभा क्षेत्र में लगातार दो बार कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीते और कांग्रेस का वोट शेयर भी चुनाव दर चुनाव इस क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है। यही स्थिति रही तो सरायपाली विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का सुरक्षित गढ़ बन जाएगा और फिर यहां से भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
वैसे सरायपाली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पास नेताओं की कमी नहीं है, लेकिन पार्टी में या तो उनका उपयोग नहीं हो पा रहा या फिर संभवतः गुटबाजी के कारण योग्य लोगों को पार्टी में सही मौका नहीं मिल पा रहा। अन्यथा ऐसा कैसे संभव है कि भाजपा जैसी केडर बेस पार्टी लगातार दो बार इस विधानसभा क्षेत्र में बुरी तरह पीट रही ? पार्टी के पुराने समर्पित कार्यकर्ता इस बात से दु:खी हैं कि पार्टी में दागी नेताओं को अग्रीम पंक्ति में रखकर उन्हें ही नेतृत्व दिया जा रहा है जबकि क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता विधानसभा चुनाव परिणाम साफ बयां करती है। ऐसे ही लोगों को हर बार प्रथम पंक्ति में स्थान देने से समय समय पर सोशल मीडिया पर कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी भड़ास निकाली जाती है और कई बार चुनाव परिणाम पर भी इसका असर दिखाई पड़ता है। ऐसे चेहरों को चुनावों में जवाबदारी दी गई तो उन्होंने भविष्यवाणी किया कि भाजपा कितने हजार वोटों से जीतेगी! पर जब चुनावों के रिजल्ट आए तो हालात वही ढाक के तीन पात वाली रही। सरायपाली विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन के प्रति समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता मौजूद हैं फिर भी कुछ चुनिंदा शहरी नेता ही अनेक वर्षों से मठाधीश बने बैठे हैं । और यही अघोषित संगठन हैं। पिछले कुछ समय से संगठन के बड़े नेता लोगों का धनाढ्य लोगों के यहां आवभगत कराने आने की परंपरा चल निकली है जिससे की जमीनी कार्यकर्ताओं में अपने भविष्य को लेकर निराशा है। जानकार बताते हैं कि सरायपाली विधानसभा क्षेत्र में भंवरपुर अंचल से पर्याप्त प्रतिनिधित्व कभी मिल ही नहीं पाता जिससे इस क्षेत्र में भाजपा संगठन कांग्रेस के मुकाबले बेहद कमजोर है इस लिहाज से इस क्षेत्र को निगम मंडलों में प्रतिनिधित्व देने पार्टी को विचार करना चाहिए। कहते हैं कुछ लोग सोची समझी रणनीति के तहत भंवरपुर क्षेत्र को उपेक्षित रखना चाहते हैं। जबकि बलौदा क्षेत्र इस मामले में लगभग ठीक-ठाक स्थिति में है चुंकि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी इस क्षेत्र में है। जबकि केदूवां क्षेत्र से दो दो पूर्व विधायक और प्रदेश स्तर के नेता हैं। सरायपाली शहर में तो दिग्गज नेताओं की कमी नहीं है। संगठन से जुड़े लोग बताते हैं कि सरायपाली विधानसभा में भाजपा को मजबूत करने के लिए साफ सुथरी छवि वाले ऐसे कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाना चाहिए जो पूर्णतः समर्पित होकर सिर्फ पार्टी की मजबूती के लिए ही काम कर सकें। चुंकि पार्टी प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में कम से कम पासिंग मार्क से ही सही पर जीत दिलाने के लिए यहां पूर्णकालिक नेताओं की आवश्यकता है। क्योंकि पिछले दो चुनावों में चेहरे बदलने के बावजूद भाजपा का ग्राफ गिरा है। बहरहाल विष्णु सरकार में सरायपाली विधानसभा क्षेत्र को कितना महत्व मिलता है यह देखना दिलचस्प होगा।
क्रमशः अगले अंक में