महासमुंद : वन अधिकार पट्टा ने शोभितराम की बदली तकदीर, सब्जी उत्पादन और दो फसल से मिली आर्थिक मजबूती
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई वन अधिकार पट्टा योजना ने महासमुंद जिले के ग्राम बैहाडीह निवासी शोभितराम बरिहा के जीवन में एक बड़ा बदलाव किया है। बिंझवार जाति से संबंध रखने वाले बरिहा वर्षों से अपने कब्जे की जमीन पर खेती तो कर रहे थे, लेकिन यह पूरी तरह वर्षा पर निर्भर थी, जिसके कारण वे अपनी उपज को सस्ते दामों पर व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर थे और सालाना मात्र 25-30 हजार रुपये की आय मिल पाती थी। वन अधिकार पट्टा मिलने के बाद शोभितराम ने अपनी जमीन को सुधारने और समतल करने का काम शुरू किया। इस प्रयास ने उनकी खेती को अधिक उत्पादक बनाया। अब वे अपनी उपज को सरकारी धान उपार्जन केंद्रों पर उचित मूल्य और बोनस के साथ बेचने में सक्षम हैं। इसका सीधा असर उनकी वार्षिक आय पर पड़ा अब जो बढ़कर 60-70 हजार रुपये तक पहुंच गई, यानी पहले की तुलना में दोगुनी से अधिक हो गई।
वन अधिकार पट्टा से मिली स्थिरता ने शोभितराम को आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने खेत में ट्यूबवेल लगाया, जिससे अब उनकी खेती वर्षा पर निर्भर नहीं है। सिंचाई की सुविधा मिलने के बाद वे साल में दो बार खेती कर पा रहे हैं। ग्रीष्मकाल में धान के साथ गेहूं, सूरजमुखी और सब्जियों की खेती ने उनकी आय को और बढ़ावा दिया। आय में वृद्धि होने से शोभितराम को बचत का मौका दिया। इससे उन्होंने अपने परिवार के लिए एक पक्का मकान बनवाया, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार का प्रतीक है। इसके अलावा, उन्होंने एक नया ट्रैक्टर खरीदा, जो न केवल उनके कृषि कार्यों में सहायक है, बल्कि किराए पर देकर आय का एक अतिरिक्त साधन भी बन गया। वन अधिकार पट्टा योजना ने शोभितराम को आत्मनिर्भर बनाया और उनके परिवार को एक खुशहाल जीवन प्रदान किया। यह योजना उनके जीवन में स्थिरता, आर्थिक सुधार और सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार बनी, जिससे वे अपने भविष्य के प्रति आशावान हैं।