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कॉरपोरेट एफडी पर मिल रहा 9.40% तक ब्याज, पढ़ लीजिए पूरी जानकारी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेप में लगातार दूसरी बार कटौती करने के बाद से बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज घटाया है। इसका असर निवेशकों पर होगा। उनको एफडी पर मिलने वाला रिटर्न कम हो जाएगा। 

ऐसे में अगर आप अब एफडी करने की सोच रहे हैं तो अभी भी मौके खत्म नहीं हुए हैं। आप कॉरपोरेट एफडी का विकल्प चुन सकते हैं। कॉरपोरेट एफडी पर अभी भी 9.40% तक ब्याज मिल रहा है। आखिर क्या होता है कॉरपोरेट एफडी और कैसे इसमें निवेश कर सकते हैं। किन बातों का रखें ख्याल। आइए आपको पूरी जानकारी देते हैं।

बैंक और कॉरपोरेट एफडी में क्या है अंतर?
बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कॉरपोरेट एफडी एनबीएफसी की ओर से जारी होने के कारण इसमें ब्याज दर अधिक होता है, जिससे कि बैंक में एफडी कराने वाले निवेशक कॉरपोरेट एफडी की ओर अधिक आकर्षित होता हो। ब्याज दर में यहां बैंक एफडी की तरह समय सीमा की अहम भूमिका होती है।

बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी दूसरा अंतर सुरक्षा होती है। बैंक एफडी में 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस डीआईसीजीसी की ओर से दिया जाता है। ऐसे में अगर बैंक डूब जाता है तो एफडी कराने वाले निवेशक को पैसा डीआईजीसी की ओर से दे दिया जाएगा। वहीं, कॉरपोरेट एफडी में ऐसा कोई भी इंश्योरेंस नहीं मिलता है। अगर एनबीएफसी कंपनी डूब जाती है तो आपका पैसा भी इसके साथ डूब जाता है।

निवेश से पहले रेटिंग जरूर चेक करें
कॉर्पोरेट एफडी में निवेश करने से पहले पहले कॉर्पोरेट्स की तुलना करना बेहतर है और जांच लें कि क्या उनके पास केयर, क्रिसिल और आईसीआरए की बेहतर रेटिंग है। AAA रेटिंग सबसे अच्छी मानी जाती है। 

निवेशकों को कंपनी के लाभ और नुकसान का ट्रैक रिकॉर्ड भी देखना चाहिए। अधिकांश बैंक समय से पहले निकासी के लिए एफडी निवेशकों पर पेनाल्टी लगाते हैं। यह आमतौर पर निवेश के लगभग 3 महीने बाद होता है।


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