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महासमुंद : किसानों को दी गई आधुनिक कृषि तकनीक, जैविक उपायों एवं विभागीय योजनाओं की जानकारी

विकासखंड महासमुंद के ग्राम बम्हनी एवं बेमचा में "विकसित कृषि संकल्प अभियान" के अंतर्गत कृषि संकल्प यात्रा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर किसानों को कृषि से संबंधित नवीनतम तकनीकों, वैज्ञानिक विधियों तथा विभिन्न विभागीय योजनाओं की जानकारी प्रदान की गई।

ग्राम बम्हनी में आयोजित कार्यक्रम में उपसंचालक कृषि एफ आर कश्यप, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मनी राम ऊईके, कृषि विस्तार अधिकारी मनोज पटेल, कृषि विज्ञान केंद्र महासमुंद से डॉ. रवीश केशरी, डॉ. एस. के. प्रधान, डॉ. पी. के. केसरिया, पशुपालन विभाग से एल. आर. साहू, मत्स्य विभाग से रेवती रमण, उद्यानिकी विभाग से अलका सोनी एवं उषा मरावी, उपस्थित रहे।


इसके अलावा समिति अध्यक्ष नामदेव साहू (बरोंडा बाजार), सरपंच बम्हनी रूपा ध्रुव, सरपंच चिंगरोद छेरकू जी, सहकारी समिति प्रबंधक हेमलाल साहू सहित कई जनप्रतिनिधि एवं किसान बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

कार्यक्रम में किसानों को मशरूम उत्पादन, लाइट ट्रैप एवं फेरोमोन ट्रैप, जैविक कीट नियंत्रण, खेती की वैज्ञानिक विधियाँ, पशुपालन, उद्यानिकी, मत्स्य एवं कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी गई। साथ ही कृषि विभाग ने मौके पर ही किसानों की समस्याएं सुनीं और उनके त्वरित निराकरण की दिशा में कदम उठाए।

ग्राम बेमचा में कृषि संकल्प यात्रा

ग्राम बेमचा में आयोजित कृषि संकल्प यात्रा में जनपद सदस्य सुधा योगेश्वर चंद्राकर ने किसानों को संबोधित करते हुए हॉर्टिकल्चर फसलों को बढ़ावा देने, एफपीओ के गठन, तथा तकनीकी खेती को प्रोत्साहन देने की बात कही।

कार्यक्रम में सरपंच देवेंद्र चंद्राकर, जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि राहुल चंद्राकर, सहकारी समिति अध्यक्ष रामदयाल यादव, लोहारडीह के उपसरपंच चेनेश कांत डहरिया, समिति प्रबंधक फत्ते लाल निर्मलकर सहित अनेक ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने अपनी भागीदारी दी।

कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कृषि करने के लिए प्रेरित करना रहा, ताकि वे आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर खेती को अधिक लाभकारी बना सकें।

विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से ग्राम स्तर पर पहुंचकर कृषि वैज्ञानिकों एवं विभागीय अधिकारियों ने सीधे किसानों से संवाद कर उन्हें नवीन तकनीकों, योजनाओं एवं साधनों से परिचित कराया, जिससे उन्हें खेती में लागत कम और उत्पादन अधिक करने में सहायता मिलेगी।


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