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बसना के मैकेनिक ने बनाया पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल, चार्ज करने पर तय करेगी 30 किलोमीटर की दूरी

यदि आपके पास टेक्नोलॉजी का आइडिया है, हाथ में हुनर है और यदि उस चीज को पाने की तिब्र लालसा है तो निश्चित ही आपकी सोच लीक से हटकर दुनिया में कुछ अलग करने की जुनून में आप नए इतिहास की रचना कर सकते हैं । ऐसा ही अरेकेल बसना के एक इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक ने पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में असेंबल कर अपना सफर आसान कर दिया और चार्ज करने के बाद 25 से 30 किलोमीटर की दूरी बिना कोई पेट्रोल डीजल के तय करता है। 

इस साइकिल में आने जाने पर कोई खर्चा नहीं आता मोबाइल की तरह केवल साइकिल में लगे बैटरी को चार्ज करना होता है । यदि आपके इलेक्ट्रिक साइकिल का बैटरी डाउन हो गया तो परंपरागत सायकल की तरह पैडल मार कर आप अपने गंतव्य तक जा सकते हैं । रास्ते में आपको बैटरी को चार्ज करने की भी आवश्यकता नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा बसना के बाहर उक्त साइकिल को खड़ा हुआ देख संवाददाता ने साइकिल के मालिक का पता किया । तब पता चला की साइकिल मालिक इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक है और अरेकेल में 40 साल से टीवी एवं अन्य इलेक्ट्रिक समान की रिपेयरिंग करने का काम करता था। 

उसे कई लोगों ने मौके पर पहचान लिया। उमा शंकर त्रिपाठी महाराज का मेकेनिकल कलाकारी उम्दा किस्म के होने तथा समय पर बना देने के कारण न केवल बसना , सरायपाली , पिथौरा बल्कि शिवरीनारायण, रायपुर, रायगढ़ , सारंगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण एवं नगर के लोग अपने इलेक्ट्रॉनिक सामानों की रिपेयरिंग के लिए अरेकेल जाते थे । लेकिन 2 साल पहले डायबिटीज बीमारी के कारण उनका एक आंख दिखाई नहीं दे रहा है तथा एक आंख कमजोर दिखाई देता है । चश्मा काम नहीं आ रहा है। एम्स रायपुर में इलाज जारी है । 14 जुलाई 2025 को आंख के आपरेशन तिथि निर्धारित है। 

फिलहाल आंख नहीं दिखने के कारण अब वे इलेक्ट्रॉनिक रिपेयरिंग का काम नहीं कर पा रहे हैं। एक आंख दिखाई नहीं देने तथा दुसरे आंख से कम दिखाई देने के कारण मोटर साइकिल एवं स्कूटी चला कर कहीं बाहर पाना मुश्किल हो गया था। कम दिखाई देने के कारण मोटर साइकिल से आने जाने पर दुर्घटना की आशंका को देखते हुए सायकिल चलाना उचित समझा। जब इलेक्ट्रिक स्कूटी को देख कर उसके उपकरण के बारे में जाना। चूंकि मैं इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक हूं। इस लिए बैटरी से चलने वाली स्कूटी की सारी समझ मुझे तुरंत पता चल गया। फिर मैने अपनी पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में परिवर्तित करने सायकिल, बैटरी , बैटरी चलित मोटर को असेंबलिंग करने की योजना को आगे बढ़ाया। अलग अलग इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा मंगवाया, वेल्डिंग करने वाले वेल्डर को समझाया फिर गांव के सायकल मिस्त्री शौकत खान की मदद ली। सायकिल के हैंडल को मोटर साइकिल के हैंडल की तरह एक्सीलेटर सिस्टम हैंडल लगवाया। सामने रात में चलने के लिए हेड लाइट लगवाया।

इस तरह इलेक्ट्रॉनिक कल पुर्जों से असेंबलिंग पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक सायकिल में परिवर्तित कर दिया। अब एक बार चार्ज कर सायकिल जितनी गति पर 25 से 30 किलो मीटर की सफर बिना कोई खर्च के तय की जा सकती है। बैटरी की जगह 250 रुपए वाली 32 नग चार्जिंग वाली सेल लगाया गया है। 100 किलो मीटर लंबी दूरी तय करने के लिए सेल की संख्या बढ़ानी पड़ेगी। साथ ही ज्यादा पिकप के लिए 250 वाट की जगह मोटर को 300 वॉट करना पड़ेगा। फिलहाल इसमें लगभग 20 हजार रुपए का खर्च आया है। सबसे अच्छी बात यह भी है कि यदि बैटरी उतर गया तब आपको न रुकना पड़ेगा और न ही मिस्त्री की जरूरत है। बिना कोई रुके आप सामान्य सायकिल की तरह पैडल मार कर अपना सफर तय कर सकते हैं। सायकिल दो साल से चला रहा हूं। मेरे अलावा मेरे दोस्त सायकल दुकान वाला शौकत के लिए भी उसकी सायकिल को इलेक्ट्रिक सायकिल बनाया गया है।

उमाशंकर त्रिपाठी अरेकेल बसना निवासी हैं। उन्होंने बताया कि बसना की पढ़ाई के बाद साइंस कॉलेज रायपुर में बीएससी साइंस की पढ़ाई करते समय प्रख्यात इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कंपनी फिलिप्स के द्वारा प्रदर्शनी एवं प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसमें वे प्रथम स्थान आए थे। फिर फिलिप्स कंपनी में ट्रेनिंग के लिए सलेक्ट हो गया। 1 माह तक फिलिप्स कंपनी में ट्रेनिंग लेते उपकरण का ज्ञान मिला। वहां विदेश से आए उपकरण को असेंबलिंग कर रेडियो तैयार किया जाता था। बाद में 1982 में ही बसना आकर फिलिप्स कंपनी के रेडियो बनाने के अलावा अन्य कंपनी के रेडियो टेप रिकॉर्डर एमप्लीफायर माइक सेट की रिपेयरिंग भी चालू कर दिया 1985 से रेगुलर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रिपेयरिंग का काम कर रहा हूं ।



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