
CG: धरती आबा के तहत जनजातीय परिवारों को स्वरोजगार हेतु पशुधन आधारित सहायता
भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा राष्ट्रीय पशुधन मिशन के दिशा-निर्देशों में संशोधन करते हुए वन अधिकार पट्टाधारी जनजातीय परिवारों के आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजना‘ प्रारंभ की गई है। इस योजना के तहत पात्र हितग्राहियों को 90 प्रतिशत अनुदान एवं केवल 10 प्रतिशत अंशदान पर पशुधन आधारित स्वरोजगार योजनाएं प्रदान की जा रही हैं।
जिले में 15 जून से 15 जुलाई 2025 तक यह अभियान 154 चिन्हांकित जनजातीय ग्रामों में संचालित किया जा रहा है। पशुधन विकास विभाग के उप संचालक ने जानकारी दी कि अब तक निम्नलिखित योजनाओं हेतु जनजातीय वनाधिकार पट्टाधारी हितग्राहियों से आवेदन प्राप्त किए गए हैं- बकरी पालन योजना (10 बकरी $ 2 बकरा) 300 आवेदन।
बकरी पालन योजना (5 बकरी $ 1 बकरा) 73 आवेदन। सूकर पालन योजना (5 मादा $ 1 नर सूकर) 45 आवेदन। लेयर कुक्कुट पालन योजना (200 रंगीन पक्षी) 17 आवेदन तथा लेयर कुक्कुट पालन योजना (100 रंगीन पक्षी) 4 आवेदन।
उक्त सभी प्रकरणों को जिला स्तरीय अनुमोदन समिति, जिसकी अध्यक्षता अनुसूचित जाति विकास विभाग करता है और जिसमें पशुधन विकास विभाग, ग्रामीण विकास विभाग तथा वन विभाग के अधिकारी सम्मिलित हैं द्वारा अनुमोदित कर संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं रायपुर को स्वीकृति हेतु प्रेषित किया गया है।
यह अभियान जनजातीय क्षेत्रों में स्वरोजगार, पोषण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विभाग द्वारा यह प्रक्रिया आगामी शिविरों में भी निरंतर जारी रहेगी, जिससे और अधिक पात्र हितग्राहियों को योजना से जोड़ा जा सके। इस सम्बंध में और अधिक जानकारी हेतु उप संचालक, पशुधन विकास विभाग, बैकुंठपुर कोरिया से सम्पर्क किया जा सकता है।