
बड़ौदा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान महासमुंद से निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने सपने पूरे कर रहे रत्ना और आकाश
बड़ौदा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से निःशुल्क प्रशिक्षण कर रत्ना यादव और आकाश यादव स्वरोजगार से अपने सपने पूरे कर रहे हैं। रत्ना और आकाश ने अपनी मर्जी से विवाह किया है। शादी के बाद जब जीवन की असल चुनौतियों ने दस्तक दी, तो दोनों की राह आसान नहीं थी। जीवन के संघर्षों से जूझते हुए उन्होंने अपने लिए एक नई राह बनाई।
एक दिन अखबार में उन्होंने बड़ौदा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) महासमुंद द्वारा संचालित निःशुल्क फास्ट फूड स्टॉल उद्यमी प्रशिक्षण की जानकारी पढ़ी। बिना देर किए उन्होंने संस्थान में जाकर पंजीयन करवाया और प्रशिक्षण लेना शुरू किया। इस प्रशिक्षण के माध्यम से उन्होंने न केवल व्यावहारिक फास्ट फूड निर्माण जैसे दही पुरी, भेल पूरी, पाव भाजी, समोसा, कचौड़ी, मंचूरियन, पकौड़ा, फ्राइड राइस, बेबी कॉर्न, नूडल्स, मोमोज इत्यादि बनाना सीखा, बल्कि साथ में फूड पैकेजिंग, ग्राहक सेवा, स्टॉल नियम, साफ-सफाई, और विपणन (मार्केटिंग) की बारीकियाँ भी जानी। इसके अलावा आरसेटी द्वारा व्यक्तित्व विकास, समय प्रबंधन, आत्मविश्वास वृद्धि, बैंकिंग एवं सरकारी योजनाओं की जानकारी से उन्हें अपने व्यवसाय के प्रति एक नई सोच मिली।
आकाश यादव बताते है कि घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उनके पिता का पहले ही निधन हो चुका था और माँ जिला अस्पताल में आया का कार्य कर किसी तरह परिवार को संभाल रही थीं। आकाश को पेट्रोल पंप में काम से सिर्फ 6000 प्रति माह की आमदनी होती थी और उनकी पत्नी रत्ना के पास भी कोई विशेष योग्यता नहीं थी, जिससे अच्छी नौकरी मिल सके। परिस्थितियाँ कठिन थीं, लेकिन रत्ना और आकाश ने हार मानने के बजाय स्वरोजगार का रास्ता अपनाने का फैसला किया। वे ऐसे काम की तलाश में थे जहाँ दोनों पति-पत्नी मिलकर कुछ कर सकें।
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद दोनों ने घर-परिवार से थोड़ी-थोड़ी राशि जोड़कर अपने छोटे से व्यवसाय की शुरुआत की। उन्होंने अपने स्टॉल का नाम रखा चाय बैठक, जिसे नदी मोड़, महासमुंद में शुरूआत किया। मेहनत, लगन और सीखी हुई बातों को अपने व्यवसाय में उतारते हुए आज वे हर माह 20 हजार से 25 हजार रुपए तक की आमदनी अर्जित कर रहे हैं। आकाश और रत्ना ने बताया कि वे अब अपने व्यवसाय को और बड़ा करने का सपना देख रहे हैं। वे बैंक से सहयोग प्राप्त कर स्टॉल को एक रेस्टोरेंट या चाय कैफे के रूप में विस्तार देना चाहते हैं। आकाश और रत्ना दोनों ने अपने जीवन की दिशा बदलने का श्रेय बड़ौदा आरसेटी महासमुंद को देते हुए संस्थान का आभार व्यक्त किया और कहा कि अगर हमें यह प्रशिक्षण न मिला होता, तो शायद आज भी हम संघर्ष में उलझे रहते। आरसेटी ने हमारे आत्मविश्वास को एक नया पंख दिया है।