
जानिये क्या मां का दूध में भी हो सकता है बच्चे के लिए हानिकारक, नवजात की सेहत पर कैसा पड़ेगा प्रभाव
जब बच्चा पैदा होता है ,तो उसे सबसे पहले माँ का दूध दिया जाता है। क्यों की ये अमृत के समान मना जाता है। और नवजात बच्चे की सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। बच्चे के विकास लिए माँ दूध बहुत ही जरुरी होता है। पर आपने कभी सोचा है ,जिस दूध को हम अमृत मनाते आ रहे है। वो भी नवजात बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। और नवजात बच्चे सेहत पर खतरा पैदा कर सकता है।
जब माँ का दूध बच्चे के लिए हानिकारक साबित हुआ है। और ऐसी स्थिति में पाया गया है,जब माँ की जीवन शैली सही नहीं रहती है। जैसे -खानपान, नशीली दवाई ,धूम्रपान का सेवन करना ,पर्यावरणीय प्रदूषण और स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करते हैं।'
दवाई का सेवन - कुछ दवाई माँ के दूध तक पहुंच जाती है जैसे कि एंटीबायोटिक्स, एंटी-डिप्रेसेंट्स, हार्मोनल दवाएं आदि।
नशा - जब माँ शराब, निकोटिन ,बिड़ी ,तंबाकू, गांजा या किसी भी टाइप का ड्रग्स अपने शरीर में ले रही है ,ऐसे में सब पदार्थों के ट्रेस पाए जा जाते है।
खान पान - आजकल जो भी भोजन हम सभी खाते है, उन सभी में मिलावट होती है.जिसकी वजह से कुछ हानिकारक रसायन मां के शरीर में जाकर दूध में स्थानांतरित हो सकते हैं।
पर्यावरणीय प्रदूषण- औद्योगिक क्षेत्रों, पेस्टीसाइड्स वाले इलाकों या प्लास्टिक प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के दूध में PCB (Polychlorinated Biphenyls), BPA (Bisphenol A) और डाइऑक्सिन्स जैसे रसायन पाए गए हैं।
कई बार पाया गया है , माँ कुछ ऐसी लाइलाज जैसे -HIV, हेपेटाइटिस B और C, और T.B जिसका वायरस या बैक्टीरिया दूध के माध्यम से बच्चे तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा पेस्टीसाइड्स (DDT आदि) रसायन और विषैले तत्व, सीसा, मरकरी, आर्सेनिक जैसे हेवी मेटल्स, एंटीबायोटिक्स, हार्मोनल दवाएं, मानसिक रोगों की दवाओं का असर भी मां के दूध में देखा जा सकता है।
बच्चे पर क्या पड़ता है असर -
1 . बच्चे के विकास पर पड़ता है प्रभाव
2 . पाचन संबंधी परेशानी रहती है।
3 . नीद और बिहेवियर में असर दिखाई देता है।
4 . कुछ दवाइयों या केमिकल्स के कारण बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है।
5 . सीसा और मरकरी जैसे तत्व मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
ध्यान रखने वाली बात -
डॉ . के अनुसार,किसी भी प्रकार की दवाई या सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर से लिजिए। किसी भी टाइप के नशे से दुरी बनाकर रखें।स्वस्थ और संतुलित आहार लें।
जैविक खाद्य पदार्थों का सेवन करें, पेस्टीसाइड और केमिकल से युक्त भोजन से बचें। स्वच्छ वातावरण में रहें। भारी प्रदूषण या रसायन से भरे वातावरण में रहने से परहेज करें। समय-समय पर जांच कराएं।
इनमें हेपेटाइटिस, HIV, टीबी जैसी बीमारियों की जांच प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद जरूर कराएं। ध्यानपूर्वक स्तनपान कराएं। अगर मां बीमार है या कोई संक्रमण है, तो डॉक्टर की सलाह अनुसार ही स्तनपान कराना चाहिए।