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शिशु रोग विशेषज्ञ की तत्परता से बची मासूम जानें, गंभीर मलेरिया का सफल उपचार CHC बसना में

बदलते मौसम के बीच जब अधिकांश लोग बुखार को "मौसमी" मानकर घरेलू इलाज कर रहे हैं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसना में एक सतर्क चिकित्सीय हस्तक्षेप ने दो नौनिहालों की जान बचाई। 30 किलोमीटर दूर राजडीह गांव से आए बच्चों को जब शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दयानंद होता ने देखा तो उनकी कमजोर स्थिति और लक्षणों ने मलेरिया की आशंका जगाई। जांच में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और गंभीर एनीमिया 5 ग्राम एवं 5.5 ग्राम की पुष्टि हुई।

तुरंत भर्ती कर समुचित इलाज शुरू किया गया। बच्चों के चेहरे की मुस्कान और स्वस्थ विदाई ने बसना CHC में एक और मानवता की मिसाल रच दी।

डॉ. होता ने कहा, “छत्तीसगढ़ एक एंडेमिक राज्य है, जहाँ समय पर पहचान और इलाज न हो तो फाल्सीपेरम जानलेवा हो सकता है। बच्चों में पोषण और स्वच्छता की सतत निगरानी बेहद ज़रूरी है।”

मलेरिया एक जानलेवा संक्रामक रोग है, जो Plasmodium नामक परजीवी से होता है। यह परजीवी मादा Anopheles मच्छर के काटने से शरीर में प्रवेश करता है और मुख्यतः लिवर व रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है।

मलेरिया के सामान्य लक्षण

- तेज बुखार और कंपकंपी

- पसीना आना और कमजोरी

- सिरदर्द, उल्टी या दस्त

- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द

- थकान, सांस लेने में कठिनाई

- प्लेटलेट्स की कमी और एनीमिया (गंभीर मामलों में)

बचाव के प्रभावी उपाय

- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें

- घर के आसपास ठहरे पानी को हटाएं

- मच्छररोधी दवाओं का छिड़काव करें

- पूरी बांह के कपड़े पहनें, विशेषकर शाम के समय

- स्वच्छता बनाए रखें—घर, आंगन और आसपास

डॉक्टरों की सलाह

CHC बसना के विशेषज्ञों का कहना है कि मलेरिया के लक्षणों को हल्के में न लें। हर बुखार मौसमी नहीं होता—समय पर जांच और इलाज से जान बचाई जा सकती है।


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