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FD पर TDS से बचना है? तो अपनाइए ये 2 फॉर्म – 15G और 15H

अगर आपकी फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) से होने वाली ब्याज आय पर ज्यादा TDS कट रहा है, तो चिंता छोड़िए। इनकम टैक्स नियम आपको इस टैक्स से राहत देता है — बस समय पर Form 15G या Form 15H बैंक में जमा कर दीजिए।

TDS की नई लिमिट

अब नॉन-सीनियर सिटीजन के लिए बैंक FD ब्याज पर TDS कटने की लिमिट ₹50,000 कर दी गई है (पहले ₹40,000 थी)।

अन्य मामलों में यह लिमिट ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है।

यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू है।

जब आपकी FD का सालाना ब्याज इस लिमिट से ऊपर चला जाता है, बैंक को सोर्स पर टैक्स (TDS) काटना होता है। लेकिन अगर आपकी कुल सालाना आय टैक्स योग्य नहीं है, तो ये दोनों फॉर्म आपके लिए “TDS से बचाव की ढाल” हैं।

Form 15G – 60 साल से कम उम्र वालों के लिए

इसे भारतीय नागरिक और HUF (हिन्दू अविभाजित परिवार) भर सकते हैं।

उम्र 60 साल से कम होनी चाहिए।

आपकी कुल टैक्सेबल इनकम शून्य होनी चाहिए।

कंपनियां इसे नहीं भर सकतीं।

क्यों ज़रूरी?

फॉर्म 15G भरकर आप बैंक को बताते हैं कि आपकी इनकम टैक्स स्लैब में नहीं आती, इसलिए FD ब्याज पर TDS न काटा जाए।



Form 15H – सीनियर सिटीजन के लिए

60 साल या उससे अधिक उम्र वालों के लिए बनाया गया है।

अगर आपकी टैक्सेबल इनकम शून्य है, तो इस फॉर्म से आप FD ब्याज पर लगने वाले TDS को रोक सकते हैं।

बैंक की हर ब्रांच में, जहां आपकी FD है, यह फॉर्म जमा करना होगा।

न सिर्फ FD, बल्कि लोन, एडवांस, डिबेंचर, बॉन्ड आदि से मिलने वाले ब्याज पर भी अगर सालाना ₹5,000 से ज्यादा कमाई है, तो यह फॉर्म काम आता है।

टिप: हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत (अप्रैल में) ये फॉर्म बैंक में जमा कर दें, ताकि साल भर अनावश्यक TDS कटौती से बचा जा सके।


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