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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 पूर्ण होने पर नगर सरायपाली में विजयादशमी उत्सव एवं भव्य पथ संचलन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्थापना के 100 वर्ष (शताब्दी वर्ष) पूर्ण होने के उपलक्ष्य में नगर सरायपाली में विजयादशमी का पर्व व पथ संचलन उत्साह और राष्ट्र सेवा के संकल्प के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों,मातृशक्ति और नागरिकों की सहभागिता रही।

कार्यक्रम हेतु एकत्रीकरण नई मंडी प्रांगण में हुआ।ततपश्चात मुख्यअतिथि प्रकाश मिश्रा (अध्यक्ष उत्कल ब्राह्मण समाज सरायपाली), मुख्य वक्ता  घनश्याम सोनी (प्रांत सहकार्यवाह छत्तीसगढ़) एवं श्री सुरेंद्र सिंह उबोवेजा( नगर संघचालक सरायपाली)के द्वारा भारतमाता के छाया चित्र अस्त्र- शस्त्रों की पुष्हार, तिलक,चंदन से पूजन अर्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।उसके पश्चात संघ के दैनिक क्रियाकलापों का प्रदर्शन किया गया।

मुख्य अतिथि प्रकाश मिश्रा (अध्यक्ष उत्कल ब्राह्मण समाज सरायपाली) ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 27 सितंबर 2025 को डॉ.केशव बलिराव हेडगेवार के द्वारा 5सदस्यों से स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज वट वृक्ष बन चुका है। लगभग 55000 शाखाओं एवं 80 देशों में विस्तार हो चुका है।उनका राष्ट्र के लिए अवदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता है। 

चाहे वह दादर नगर हवेली हो,गोवा को पूर्तगालियों से मुक्त कराने, प्राकृतिक आपदाओं में राहत और मानवता की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहने, पीड़ित व संकट की घडी में हमेशा अग्रणी संस्था है।भारत के 70 वर्ष के इतिहास को देखा जाय तो लगता है कि मुगल शासकों के शौर्य गाथाओं का वर्णन मिलता है।लेकिन हमारे देश के हिन्दू राजाओं, योद्धाओं, महान पराक्रमी शूरवीरों के इतिहास को दबाया व छिपाया गया।हमारे शूरवीरों का स्थान सुनिश्चित करने हेतु संघ से अपेक्षा है कि वे इस दिशा में भी कार्य करे।

मुख्य वक्ता का संदेश: विजयादशमी, स्थापना और पंच परिवर्तन

उद्बोधन में मुख्य वक्ता आर एस एस के छत्तीसगढ़ प्रांत सह कार्यवाह धनश्याम सोनी जी ने कहा कि विजयादशमी उत्सव को असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक बताते हुए, इसी दिन 1925 में परम पूज्यनीय डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार जी द्वारा संघ की स्थापना की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने संघ को बिना किसी भेदभाव के समाज और राष्ट्र के प्रति कार्य करने वाली एकमात्र सेवाभावी संगठन बताया।

विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन की परम्परा तब से प्रारंभ हुई, जब पांडव एक वर्ष का वनवास ब्यतीत कर वापस आए।उसी दिन अपने शस्त्रों की पूजा की थी।यह आयोजन बस्तर में 75 दिनों तक मनाया जाता है।आस-पास के सभी राज्यों के देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।आर एस एस का मुख्य उद्देश्य समाज को जाति,धर्म,सम्प्रदाय से ऊपर उठकर श्रेष्ठ समाज का निर्माण करना है।समाज को संगठित करके ही हम देश व समाज को सुरक्षित रख सकते हैं।व्यक्ति निर्माण के साथ हमें राष्ट्र निर्माण भी करना है।

संघ अब भारतीय समाज में 'पंच परिवर्तन' का निश्चय लेकर कार्य कर रहा है। इसका उद्देश्य लोगों में स्वदेशी का भाव जगाकर, समाज में आपसी भाईचारा (समरसता) को बढ़ाकर, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देकर, नागरिकों में कर्तव्य के प्रति समर्पण, और परिवार में एकता (कुटुंब प्रबोधन) का भाव लाना है उन्होंने कहा कि संघ का प्रण है कि वह देश को आज़ादी के बाद खंडित न होने दे, और जाति-पाति के भेद को मिटाकर, समाज को एक सूत्र में बांधकर भारत की भव्यता बनाए रखेगा। उन्होंने राष्ट्र को परम शिखर तक ले जाने के लिए समाज के सभी वर्गों की सहभागिता को अनिवार्य बताया।

यह भव्य आयोजन, संघ के शताब्दी वर्ष के संकल्पों और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए आह्वान किया। इसके बाद नई मंडी प्रांगण से पूर्णगणेश में स्वयंसेवकों का भव्य पथसंचलन घोष वाद्य ,भारतमाता के रथ के साथ निकलकर नगर के मुख्यमार्ग से जैन कालोनी चौक,राधे कपडा बाजार, जय स्तम्भ चौक,गुरुनानक चौक,फौव्वारा चौक,बाजार पारा, दुर्गा मंदिर, उड़िया पारा,कलकत्ता कपड़ा बाजार, पेट्रोल पंप,राजराजेश्वरी चौक ,अग्रसेन चौक,श्रीवास्तव कपड़ा दुकान, संतोषी मंदिर, गायत्री मंदिर होते हुए पुनः नई मंडी प्रांगण पहुंचा। 

भव्य पथ संचलन का स्वागत कोलता समाज,यादव समाज, अग्रवाल समाज, सिक्ख समाज,जैन समाज, ब्राह्मण समाज,सवरा समाज,अघरिया समाज,साहू समाज, केंवट समाज, जायसवाल समाज, मरार पटेल समाज,सारथी समाज, दुर्गा वाहिनी, व्यापारी महासंघ,ठेला व्यापारी संघ, दुर्गा समिति बाजार पारा, टैक्सी संघ, पतंजलि योग समिति,गायत्री परिवार, मातृ शक्तियों, विभिन्न संगठनों, व्यापारी बंधुओ एवं शक्तिस्वरूपा मातृ शक्तियों द्वारा आतिशबाजी एवं फूलों की वर्षा के साथ आत्मीय स्वागत किया गया। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में गणमान्य नागरिक, प्रबुद्ध जन, मातृशक्ति एवं स्वयंसेवक उपस्थित थे।


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