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बसना : गुढ़ियारी के किसानों की जीवन रेखा बना सोनामुंदी मार्ग — 10 वर्षों से सड़क निर्माण की राह देख रहे ग्रामीण

सी डी बघेल | बसना विकासखंड के ग्राम पंचायत गुढ़ियारी के किसान पिछले दस वर्षों से अपने खेतों तक पक्के रास्ते की आस लगाए बैठे हैं। गांव से सोनामुंदी नाला तक जाने वाला दो किलोमीटर लंबा कच्चा मार्ग यहां के किसानों के जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा बन चुका है। इस रास्ते से ही गांव की करीब 600 एकड़ कृषि भूमि में से 450 एकड़ से अधिक क्षेत्र की खेती तक पहुंचा जाता है। यही कारण है कि ग्रामीण इसे ‘गुढ़ियारी की जीवन रेखा’ कहते हैं।

बरसात के मौसम में यह मार्ग कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो जाता है। ऐसे में किसानों के लिए खेत तक खाद, बीज, और फसल ले जाना बेहद मुश्किल हो जाता है। एक बोरा खाद या बीज खेत तक ले जाने के लिए भी ट्रैक्टर किराए पर लेना पड़ता है, जिससे अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ जाता है। किसानों की पीड़ा यह है कि अब तक शासन-प्रशासन की ओर से इस मार्ग को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जबकि गांव के लोग वर्षों से इस सड़क को डब्ल्यूबीएम (गिट्टी-मुरूम युक्त सड़क) या सीसी रोड के रूप में बनाने की मांग कर रहे हैं। यह मांग कई बार पंचायत से लेकर जिला स्तर तक पहुंचाई जा चुकी है, पर नतीजा आज भी सिर्फ आश्वासन तक सीमित है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह सड़क बन जाए तो मोटरसाइकिल और साइकिल से भी खेतों तक पहुंचा जा सकेगा। इससे न सिर्फ किसानों का समय बचेगा, बल्कि डीजल और किराए के खर्च में भी कमी आएगी। हर साल ग्रामीण अपने श्रम और ट्रैक्टर से मिट्टी व रेत डालकर इस रास्ते की मरम्मत करते हैं। यह श्रमदान अब गांव की एक परंपरा बन चुका है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान अभी भी नहीं मिल पाया है। गुढ़ियारी के किसान मदन पटेल कहते हैं — “सरकार हमारे लिए नाली या भवन न बनाए तो चलेगा, लेकिन यह सड़क पक्की कर दे तो हम अपनी मेहनत से बाकी सब बना लेंगे।” उनके जैसे कई किसानों का कहना है कि इस मार्ग की मरम्मत से केवल अस्थायी राहत मिलती है। जब तक इसे पक्का नहीं बनाया जाता, तब तक यह संघर्ष हर साल जारी रखना उनकी मजबूरी है।

गुढ़ियारी के किसानों की उम्मीद बनी थी धरसा योजना, सत्ता परिवर्तन के बाद ठंडी पड़ी

ग्राम पंचायत गुढ़ियारी के किसानों के लिए खेतों तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता गुढ़ियारी से सोनामुंदी नाला तक जाने वाला कच्चा मार्ग है, जो बरसात में दलदल में बदल जाता है। किसानों का कहना है इसी प्रकार की कठिनाई के समाधान के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2021 में “धरसा योजना” शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य था—ग्रामीण क्षेत्रों के पुराने धरसा मार्गों को सीसी रोड में परिवर्तित करना, ताकि किसान वर्षभर खेतों तक आसानी से पहुंच सकें और कृषि कार्य बाधित न हो। 2021–22 के बजट में घोषित इस योजना को ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कृषि विभागों के संयुक्त सहयोग से लागू किया जाना था, जिसके तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में दो से तीन प्रमुख धरसा मार्ग चिन्हित करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन दिसंबर 2023 में सत्ता परिवर्तन के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। किसानों का कहना है कि यदि शासन इस योजना को पुनः लागू कर मार्ग को सीसी रोड में बदल दे, तो गुढ़ियारी के सैकड़ों किसानों की सबसे बड़ी समस्या दूर हो जाएगी।

ग्रामीणों के श्रम से टिका है ‘जीवन रेखा मार्ग’

हर साल गांव के किसान अपने ट्रैक्टर से मिट्टी व रेत डालकर मार्ग को समतल करते हैं। बरसात बीतने के बाद सड़क पर गड्ढे इतने गहरे हो जाते हैं कि पैदल या साइकिल से गुजरना भी मुश्किल होता है। ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से ही यह रास्ता साल दर साल उपयोग में बना रहता है। लगातार 10 वर्षों से गांव के किसान शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस मार्ग को डब्ल्यूबीएम या सीसी रोड में परिवर्तित करने की मांग कर रहे हैं। अनेक ज्ञापन दिए गए हैं लेकिन कार्य स्वीकृति आज तक नहीं मिल सकी। किसानों का कहना है कि यदि शासन वास्तव में ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देता है, तो इस सड़क का निर्माण सबसे पहले होना चाहिए।

दो किलोमीटर का रास्ता — सैकड़ों किसानों की राहत का उपाय

बंशीधर चैधरी , करून कुमार दाऊ, पूर्व सरपंच सुशील दीवान, पूर्व सरपंच उपेन्द्र दाऊ, सुभाष जगत, अशोक दीवान , केदारनाथ पटेल , परमानंद चौधरी, मुरली पटेल , लखपति पटेल, प्रभुलाल , देवानंद नायक, नंदकुमार परेल , बिग्रेशन पटेल , चन्दमणि पटेल धनीराम मानिकपुरी, उसतराम रात्रे, नवीन दीवान, गंगा प्रसाद, गोरेलाल, जगनथिया सहित अनेक किसानों का कहना है कि गुढ़ियारी से सोनामुंदी नाला तक की सड़क मात्र दो किलोमीटर की है, लेकिन इसके बनने से सैकड़ों किसानों की जिंदगी आसान हो जाएगी। यह सड़क खेतों तक खाद, बीज खेत तक ले जाने, खेत में काम करने जाने में सुविधा होगी वहीं दूसरी ओर फसल पकने तक खलिहान घर तक ले जाने का प्रमुख मार्ग है। इसके निर्माण से कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ परिवहन लागत भी घटेगी।

किसानों ने शासन से आग्रह किया है कि इस मार्ग को पहले चरण में डब्ल्यूबीएम सड़क के रूप में स्वीकृत किया जाए और बाद में इसे सीसी रोड में परिवर्तित किया जाए। यह न केवल स्थायी समाधान होगा बल्कि ग्राम गुढ़ियारी के कृषि जीवन को मजबूती भी देगा। कृषि कार्य फिर से गति पकड़ लेगा और किसानों को साल दर साल की परेशानी से मुक्ति मिल सकेगी।


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