वेदांता एल्युमीनियम ने अपनी इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट फ्लीट को दोगुना किया
वर्ल्ड सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट डे यानि विश्व सतत् परिवहन दिवस के मौके पर कंपनी ने इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट के अपने बेड़े का विस्तार कर उसे 142 यूनिट्स तक पहुँचाया; इस तरह कंपनी ने पर्यावरण के अनुकूल एवं ऊर्जा- कुशल लॉजिस्टिक्स के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया
रायपुर , 27 नवंबर, 2025 : भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक, वेदांता एल्युमीनियम ने घोषणा की है कि भारत में सबसे बड़े लिथियम-आयन बैटरी चालित इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट के अपने बेड़े में उन्होंने भारी इज़ाफा किया है। ओडिशा और छत्तीसगढ़ स्थित कंपनी के विश्व स्तरीय प्रचालनों में अब 142 इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट्स शामिल हो गई हैं, जो पहले की कुल संख्या के मुकाबले दोगुनी से भी ज्यादा हैं। हर साल 26 नवंबर को मनाए जाने वाले वर्ल्ड सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट डे यानि विश्व सतत् परिवहन दिवस के मौके पर वेदांता एल्युमीनियम की यह एक ज़बरदस्त पहल है, जो भारत के औद्योगिक प्रचालन को नए आयाम प्रदान कर रही है और सस्टेनेबल बिज़नेस प्रैक्टिस सुनिश्चित करने पर अधिक ध्यान दे रही है।
संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष 26 नवंबर को वर्ल्ड सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट डे मनाता है। इसका उद्देश्य सस्टेनेबल आर्थिक विकास और सामाजिक भलाई हेतु सुरक्षित, किफायती, सुगम और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली की अहम् भूमिका पर ज़ोर देना है। यह दिवस मज़बूत एवं कम उत्सर्जन वाला इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए वैश्विक सहयोग को भी बढ़ावा देता है।
पर्यावरण पर असर कम करने और कार्यक्षमता बढ़ाने के अलावा, सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट लैंगिक समानता और क्लाइमेट एक्शन जैसे बड़े विकास लक्ष्यों को पाने के लिए एक ज़रूरी उत्प्रेरक के तौर पर उभर रहा है।
इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट्स में बढ़ोतरी का यह कदम 2050 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने की वेदांता की प्रतिबद्धता के साथ मेल खाता है, साथ ही 2030 तक अपने हल्के वाहनों के बेड़े (लाइट मोटर व्हीकल फ्लीट) को डीकार्बनाइज़ करने के लक्ष्य को भी आगे बढ़ाता है।
वेदांता एल्युमीनियम ने अपने प्रचालनों में 142 इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट्स को विभिन्न चरणों में तैनात करके यह बड़ी कामयाबी हासिल की है। इससे पर्यावरण, प्रचालन एवं सामाजिक तौर पर बड़े फायदे हुए हैं।
अकेले झारसुगुडा स्मेल्टर में, जहाँ ऐसी 116 फोर्कलिफ्ट्स तैनात की गई हैं, इस पहल से हर साल लगभग 4,450 टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन खत्म होने और हर साल डीज़ल की खपत में 16.3 लाख लीटर की कमी आने की उम्मीद है। सस्टेनेबिलिटी के इन फायदों के अलावा, यह बदलाव कार्यस्थल की सुरक्षा को बढ़ाता है तथा तेज़ चार्जिंग व रखरखाव की जरूरत को कम करके प्रचालन निपुणता को बढ़ाता है, जिससे वेदांता की परिचालनीय उत्कृष्टता को पर्यावरण की ज़िम्मेदारी और सामाजिक तरक्की के साथ जोड़ने के विज़न को मज़बूती मिलती है।
इस उपलब्धि पर बोलते हुए वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ श्री राजीव कुमार ने कहा , ’’वेदांता एल्युमीनियम में, हम सस्टेनेबिलिटी को मात्र एक प्रतिबद्धता से ज्यादा मानते हैं, हमारे लिए सस्टेनेबिलिटी सकारात्मक परिवर्तन की उत्प्रेरक है। इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट के हमारे बेड़े की यह बढ़ोतरी इस बात का सबूत है कि जब हम ऐसी टेक्नोलॉजी में निवेश करते हैं, जो हमारे प्रचालन और हमारी धरती दोनों के लिए फायदेमंद हों, तो कितना कुछ संभव हो जाता है। इस उपलब्धि ने न सिर्फ हमारे पर्यावरणीय प्रयासों को मज़बूत किया है, बल्कि उद्योग जगत की उन भूमिकाओं में समावेशन हेतु नए रास्ते भी बनाए हैं, जिन्हें कभी महिलाओं के लिए मुश्किल माना जाता था।’’
इस पहल ने समावेशी वृद्धि हेतु नए अवसर बनाए हैं, जिसमें कई फोर्कलिफ्ट्स महिलाओं और ट्रांसजेंडर पेशेवरों द्वारा चलाई जा रही हैं, जिससे बराबरी व मज़बूती के लिए वेदांता की प्रतिबद्धता और मज़बूत हुई है तथा कंपनी ने यह दिखाया है कि कैसे सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी सामाजिक बदलाव लाने में सक्षमकारी साबित हो सकती है। इस पहल ने वेदांता झारसुगुडा के स्मेल्टर ऑपरेशन्स में भारत के पहले 10-टन क्षमता वाली इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट्स लगाने जैसी और भी कई पहली उपलब्धियाँ हासिल की हैं। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करके और हर साल हज़ारों टन उत्सर्जन खत्म करके वेदांता एल्युमीनियम न सिर्फ अपने पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा कर रहा है, बल्कि यह मानक भी स्थापित कर रहा है कि उद्योग परफॉर्मेंस या उत्पादकता से समझौता किए बगैर किस प्रकार डीकार्बनाइज़ कर सकते हैं। भारत के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट फ्लीट में अग्रणी बनकर कंपनी ने दर्शाया है कि पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और परिचालनीय उत्कृष्टता एक-दूसरे को एक परिवर्तनकारी भविष्य की ओर आगे बढ़ा सकते हैं।