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किसान दिवस पर वेदांता एल्युमीनियम ने 20,000 से अधिक किसानों को तकनीक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के माध्यम से सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी, वेदांता एल्युमीनियम ने राष्ट्रीय किसान दिवस (किसान दिवस) के अवसर पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ में 20,000 से अधिक किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में हो रही निरंतर प्रगति की घोषणा की। यह कार्य कृषि और उससे जुड़ी आजीविकाओं में व्यावहारिक और विज्ञान-आधारित पहलों के माध्यम से किया जा रहा है। मिट्टी की उर्वरता मजबूत करने, पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने, आजीविका विकास को बढ़ावा देने और किफायती तकनीक को खेत तक पहुँचाने के उद्देश्य से तैयार की गई ये पहलें किसानों को वैज्ञानिक जानकारी, प्रशिक्षण और ज़मीनी स्तर पर संसाधन उपलब्ध कराती हैं। इससे उत्पादकता बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और टिकाऊ व मजबूत कृषि प्रणालियों के निर्माण में मदद मिल रही है।

सहायता प्राप्त करने वाले किसानों में 12,000 से अधिक महिलाएँ और 8,000 से अधिक पुरुष शामिल हैं, जो समावेशी विकास पर कंपनी के फोकस को दर्शाता है। ये पहलें ओडिशा के झारसुगुड़ा और कालाहांडी तथा छत्तीसगढ़ के कोरबा में लागू की गई हैं। यहाँ किसानों ने टिकाऊ खेती के तरीकों, कम लागत वाले इनपुट्स और आय के विविध स्रोतों के माध्यम से उत्पादकता में औसतन 15-20% की वृद्धि और आय में 18-22% की बढ़ोतरी की जानकारी दी है।

वेदांता एल्युमीनियम के कृषि कार्यक्रम पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संयोजन हैं। छत्तीसगढ़ में मोर जल मोर माटी और ओडिशा में वेदग्राम तथा संगम जैसी प्रमुख पहलें जलवायु-स्मार्ट खेती मॉडल, पुनर्योजी कृषि और जल संसाधनों को मजबूत करने पर केंद्रित हैं। कंपनी ने प्रमुख संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) भी किए हैं, जिनमें आईसीएआर-सीटीसीआरआई के साथ रेड मड को टिकाऊ मिट्टी सुधारक में बदलने की पहल और नाबार्ड के साथ ग्रामीण कौशल विकास व कृषि नवाचार को बढ़ावा देने की साझेदारी शामिल है। डिजिटलीकरण भी एक अहम् भूमिका निभा रहा है। आयुष्मान काउफिट कॉलर, डिजिटल एआई गन और स्वचालित मौसम एवं जल स्टेशन जैसे उपकरण किसानों को प्रिसिजन फार्मिंग और पशुपालन प्रबंधन अपनाने में मदद कर रहे हैं।

वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ राजीव कुमार ने कहा, “ओडिशा और छत्तीसगढ़ की कृषि समुदायों के साथ हमारी यात्रा एक बड़े दृष्टिकोण को दर्शाती है, जहाँ औद्योगिक प्रगति और ग्रामीण समृद्धि साथ-साथ आगे बढ़ती हैं। ये क्षेत्र भारत के सबसे अधिक कृषि-प्रधान इलाकों में शामिल हैं, और 20,000 से अधिक किसानों को तकनीक, ज्ञान और टिकाऊ तरीकों से सशक्त बनाकर हम ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं, जो केवल कृषि तक सीमित न रहकर आगे भी फलते-फूलते रहें।”

ओडिशा में वेदांता एल्युमीनियम की पहलों से 60 से अधिक गाँवों के 12,000 से ज्यादा किसान लाभान्वित हुए हैं। इनमें झारसुगुड़ा का प्रोजेक्ट वेदग्राम शामिल है, जो वाडी मॉडल के माध्यम से मिट्टी की सेहत, जल संरक्षण और कृषि-बागवानी को बढ़ावा देता है। वहीं, लांजीगढ़ का प्रोजेक्ट संगम धान की पैदावार बढ़ाने के लिए सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन (एसआरआई) को बढ़ावा देता है, जिससे पानी की खपत और खेती की लागत कम होती है। इसके अलावा किसानों को पशुधन नस्ल सुधार सेवाओं, जैविक खेती कार्यशालाओं और खेतों में किए गए प्रयोगात्मक परीक्षणों का भी लाभ मिला है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति उनकी सहनशीलता को मजबूत करते हैं।

छत्तीसगढ़ में ‘मोर जल मोर माटी’ कार्यक्रम के तहत 40 गाँवों के 8,000 से अधिक किसानों की खेती पद्धतियों में बदलाव आया है। यह पहल जल सुरक्षा, टिकाऊ कृषि और यंत्रीकरण पर केंद्रित है। किसानों ने सोलर सिंचाई पंप, कस्टम हायरिंग सेंटर और डिजिटल पशुधन समाधान अपनाए हैं, जबकि लाख की खेती जैसी सहायक आजीविकाओं ने उन्हें अतिरिक्त आय के अवसर भी प्रदान किए हैं।

भारत सरकार का किसान दिवस वैज्ञानिक मिट्टी प्रबंधन, डिजिटल कृषि, किसानों के अनुकूल तकनीकों और पीएम-किसान, पीएम-फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिशन और डिजिटल कृषि मिशन जैसी वित्तीय सहायता योजनाओं पर विशेष जोर देता है। इन पहलों का उद्देश्य एक उत्पादक, आत्मनिर्भर और तकनीक से सशक्त कृषि व्यवस्था बनाना है। वेदांता एल्युमीनियम द्वारा मिट्टी सुधार, सटीक खेती, मौसम से जुड़ी स्मार्ट सलाह, पशुधन सुदृढ़ीकरण और बागवानी विकास के लिए किए जा रहे कार्य इस राष्ट्रीय दृष्टिकोण को मजबूती देते हैं, जिससे ग्रामीण समुदायों को आधुनिक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए आवश्यक संसाधन और क्षमता मिल सके। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों एसडीजी 1 (गरीबी समाप्त करना), एसडीजी 8 (सम्मानजनक रोजगार और आर्थिक विकास), एसडीजी 9 (उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचा) और एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई) के अनुरूप, कंपनी फसल अवशेषों के उपयोग, बायोफ्यूल परियोजनाओं और नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण जैसे सर्कुलर इकोनॉमी समाधानों को भी आगे बढ़ा रही है। इससे किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर मिलते हैं और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव भी कम होते हैं।

वेदांता एल्युमीनियम की कृषि संबंधी पहलें उसके व्यापक सामाजिक प्रभाव कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण शामिल हैं। कंपनी के सामुदायिक विकास कार्यक्रमों से ओडिशा और छत्तीसगढ़ में 7 लाख से अधिक लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है।

जैसे-जैसे भारत औद्योगिक विकास और ग्रामीण समृद्धि की ओर आगे बढ़ रहा है, वेदांता एल्युमीनियम समुदायों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि विकास समावेशी, समान और टिकाऊ हो।


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