
नीम के पेड़ से निकल रहा दूध ! वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अंधविश्वांस भारी....
पिछले दिनों बसना जिला महासमुंद के पास ग्राम पोंसरा से खबर आई कि एक नीम के पेड़ से सफेद द्रव्य निकल रहा है और बड़ी संख्या में ग्रामीण दैवीय चमत्कार मानकर उस पेड़ के दर्शन के लिए उमड़ पड़े. जिसके बाद यहाँ पूजा पाठ भी शुरू कर दी गई है. नीम से निकल रहे इस द्रव्य को लोग दुध मानकर प्रसाद के रूप में ग्रहण कर रहे हैं. इसके साथ ही आस्था के नाम पर पैसे और नारियल का भी चढ़ावा किया जा रहा है.
नीम के पेड से दूध निकलने और पूजा पाठ चालू होने के खबर के बाद छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के प्रदेश सचिव एवं प्रख्यात पर्यावरणविद् डॉ वाय के सोना के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल जिसमें वनस्पति, जीवविज्ञान, पर्यावरण, भूगर्भ इत्यादि विषय विशेषज्ञों एवं मीडिया के लोगों ने उस स्थान पर जाकर पूरी वस्तुस्थिति का जायज़ा लिया और पाया कि यह नीम के पेड़ों पर प्राकृतिक रूप से होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है जो पारिस्थितिकी के अनुसार किसी भी नीम के पेड़ के साथ हो सकता है.
बताया गया की जब नीम के पेड़ पूराने होने लगते हैं तो बड़ी मात्रा में जल शोषित कर तने में एकत्र करने लगते हैं जिससे तने के अंदर ट्यूमर की तरह पानी के जमाव बन जाते हैं. बरसात के मौसम में जब आर्द्रता और तापक्रम उपुक्त होते हैं बैक्टीरिया अनुकूल परिस्थितियों को पाकर बढ़ने लगते हैं। जब मौसम में आर्द्रता बढ़ जाती है तब नरम हो जाने के कारण पेड़ के कमजोर स्थान से जीवाणुओं के मेटाबॉलिज्म से उत्सर्जित गैस के दबाव से यह तने में ट्यूमर की तरह एकत्र पानी और पेड़ के रस एवं जीवाणुओं का अपशिष्ट पदार्थ स्राव के रूप में तने से बाहर निकलने लगता है जिसका रंग झाग के कारण से सफ़ेद दिखाई देता है जिससे लोगों को दूध होने का भ्रम होता है.
बताया
गया की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह वृक्षों के साथ होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया
ही है. घटनास्थल पर छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा बसना इकाई से शिवप्रसाद पटेल, मनोज कुमार साहू, नरेश खटकर, बैकुंठ दास, आर आर पटेल एवं अजय कुमार
भोई ने डॉ वाय के सोना के नेतृत्व में
ग्रामीण जनों को उपरोक्त घटना का वैज्ञानिक कारण समझाया. लेकिन फिर भी अंधविश्वास
के चलते लोग यहाँ पहुँचकर पूजा पाठ करने लगे है.