
वेदांता एल्युमीनियम ने एल्युमीनियम कारोबार में बतौर एक गेमचेन्जर भारत-यूके सीईटीए का स्वागत किया
भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी वेदांता एल्युमीनियम ने भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर का स्वागत किया है और इसे एल्युमीनियम उद्योग के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर बताया है। वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ श्री राजीव कुमार ने बाल्को (वेदांता एल्युमीनियम की कंपनी) के सीईओ श्री राजेश कुमार के साथ मिलकर भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वेबिनार में एएआई का प्रतिनिधित्व किया।
खान मंत्रालय के सचिव श्री वी.एल. कांथा राव की अध्यक्षता में ’’भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) और भारतीय खनिज क्षेत्र को लाभ’’ विषय पर आयोजित वेबिनार में एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई), फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई), एल्युमीनियम सेकेंडरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एएसएमए) और मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) सहित प्रमुख उद्योग निकायों के प्रतिनिधियों ने भारत-यूके सीईटीए पर अपने विचार रखे।
वेबिनार में सीईटीए के अंतर्गत अवसरों पर प्रकाश डाला गया, जिसके तहत भारत ब्रिटेन के 90 प्रतिशत उत्पादों पर टैरिफ में कटौती करेगा तथा ब्रिटेन भारत के 99 प्रतिशत निर्यात पर शुल्क में ढील देगा, जिससे निम्नलिखित की उम्मीद हैः
व्यापार बाधाओं को कम करना और नए निर्यात अवसर पैदा करना।
2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 56 अरब डॉलर से दोगुना करके 112 अरब डॉलर करना।
भारत के 99 प्रतिशत निर्यात के लिए ज़ीरो-ड्यूटी ऐक्सपोर्ट ऐक्सैस प्रदान करना, जिससे ’मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिले।
भूवैज्ञानिक, भूभौतिकीय और सुरंग निर्माण तकनीकों सहित ब्रिटेन की विशेषज्ञ खनन प्रैक्टिस को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
वी.एल. कांथा राव ने रोड शो के माध्यम से ब्रिटेन में एल्युमीनियम की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए भारतीय दूतावास के सहयोग की पेशकश की, जो सरकार और उद्योग के बीच मजबूत सहयोग का संकेत है।
एएआई का प्रतिनिधित्व करते हुए श्री राजीव कुमार ने इस ऐतिहासिक संधि पर हस्ताक्षर की सराहना की। उन्होंने एल्युमीनियम व्यापार की स्थिति पर भी प्रकाश डालाः
भारत 4.2 एमटीपीए प्राथमिक एल्युमीनियम का उत्पादन करता है और 1.6 एमटीपीए अपस्ट्रीम एल्युमीनियम का निर्यात करता है।
ब्रिटेन में कोई प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादन नहीं है, मांग को पूरा करने के लिए उसे बड़ी मात्रा में आयात करना पड़ता है।
अनुसंधान एवं विकास सहयोग और उत्पाद प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए सीईटीए का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
जनवरी 2027 में लागू होने वाले कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) से संभावित खतरे उत्पन्न हो सकते हैं, जहां स्कोप 2 उत्सर्जन के कारण शुल्क प्रभाव 80 प्रतिशत से अधिक हो सकता है। इससे भारत के लिए 0 प्रतिशत ड्यूटी मार्केट ऐक्सैस का लाभ समाप्त हो जाएगा।
वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ राजीव कुमार ने कहा, ’’भारत-यूके सीईटीए एक ऐतिहासिक कदम है जो भारतीय एल्युमीनियम क्षेत्र के लिए अभूतपूर्व निर्यात के अवसर खोलता है। ऊर्जा परिवर्तन में तेज़ी के साथ, 2040 तक एल्युमीनियम की मांग में 37 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जो इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा, और पारेषण एवं डिस्ट्रीब्यूशन इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों द्वारा संचालित होगी। ब्रिटेन में प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादन की कमी के कारण भारतीय निर्माता इस बाज़ार में प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गए हैं।’’