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फसल चक्र परिवर्तन से आत्मनिर्भर बना किसान, मक्का की खेती से प्रति एकड़ 25 हजार रूपये की आमदनी

जिला प्रशासन द्वारा किसानों को नकदी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसका असर दिखने लगा है। फसल चक्र परिवर्तन को अपनाकर किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं। रबी सीजन में मक्का की खेती से प्रति एकड़ 25 हजार रूपये तक की आमदनी प्राप्त की जा रही है। चारामा विकासखण्ड के ग्राम बागडोंगरी के कृषक नकछेड़ा राम नाइक के पास 1.70 हेक्टेयर पैतृक जमीन है, जिसमें वे परंपरागत रूप से धान की खेती कर रहे थे। केवल बरसात में ही धान की खेती होती थी, पर्याप्त आमदनी नहीं होने से परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। खेती को लाभकारी बनाने के लिए उन्होंने चारामा के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी सीआर भास्कर से संपर्क किया और उनकी सलाह के अनुसार किसान समृद्धि योजना के तहत नलकूप खनन करवाया, जिसमें उन्हें अनुदान के रूप में 43 हजार रूपये भी प्राप्त हुए।

बोर खनन के बाद कृषक द्वारा ग्रीष्मकाल में भी धान की खेती की जाने लगी, इससे उनकी माली हालत में सुधार तो हुआ, लेकिन बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ। कृषक नकछेड़ा राम ने बताया कि धान की खेती सरल होता है, इसलिए गर्मी में भी धान की खेती करता था, लेकिन प्राप्त आमदनी से संतुष्ट नहीं हुआ और पुनः वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी चारामा से संपर्क किया। कृषि विभाग के अधिकारियों ने ग्रीष्मकालीन धान की जगह मक्का व दलहन की खेती करने का सुझाव दिया, साथ ही 2 एकड़ रकबा के लिए निःशुल्क मक्का बीज भी दिया और लगाने की विधि एवं संतुलित मात्रानुसार रासायनिक खाद डालने की सलाह दिया। कृषक नकछेड़ा अब मक्का की खेती में भी पारंगत हो गया और उन्हें प्रति एकड़ 25 हजार रूपये की आमदनी हो रही है, दो एकड़ जमीन में कुल 50 हजार रूपये का शुद्ध आय प्राप्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी कृषि विभाग द्वारा 2 एकड़ रकबा के लिए निःशुल्क मक्का बीज किस्म पीएसी-740 दिया गया है। उन्होंने किसान भाईयों से अपील की है कि ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर दलहन एवं मक्का फसल की खेती करें, जिसे प्रति एकड़ ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो सके।




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