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जिले में हरियर योजना मुरझाई, 8 लाख खर्च करके एक भी पौधा नहीं बन पाया पेड़...!उसी जमीन पर दोबारा 8.85 लाख की लागत से पौध रोपण की तैयारी...

बेमेतरा जिले में मनरेगा के तहत धनगांव में वर्ष 2017-18 में 8 लाख की लागत से पौधे रोपे गए थे। इनमें से एक भी पौधा पेड़ नहीं बन पाया, ऐसा हम नहीं जिला पंचायत सीईओ रीता यादव कह रही हैं। अब उसी जमीन पर दोबारा 8.85 लाख की लागत से पौध रोपण की तैयारी चल रही है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि एक ही जमीन पर पौध रोपण आखिर कितनी बार ? क्या ऐसे ही जिले में आएगी हरियाली ? जिम्मेदार अधिकारी भी इस मामले में जांच की बात कहकर अपने पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।

आखिर क्या है पूरा मामाला:-

जिले में मनरेगा, नरेगा, पंचायत हरेली योजना, हरियर योजना समेत वन विभाग की योजना न जाने कितनी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं। 20 साल में जिले को हरियर बनाने के चक्कर में कुछ लोगों के बैंक खाते जरूर हरियर हो गए। सरकारी खजाने से करोड़ों रूपए फूंकने के बावजूद भी पौधे पेड़ नहीं बन सके। तो वहीं जिले की दर्जनों नर्सरियां अपनी बदहाली पर आंसू बहाती दिखाई दे रही हैं।







फ्लाॅपशो साबित हुई योजनाएं:-

जिले में मनरेगा के तहत पौधरोपण कार्यक्रम फ्लाॅपशो साबित हुआ। ग्राम धनगांव में मनरेगा के तहत 2017-18 में 8 लाख की लागत से 1250 पौधे रोपे गए थे। उस वक्त तमाम लोगों ने पौधे रोपते हुए अपनी-अपनी फोटो भी खिंचवाई थी। पौध रोपण का समाचार अखबारों में भी छपा था। उसके बाद इधकर कोई झांकने तक नहीं आया। आलम ये हुआ कि ये पौधे एक हफ्ते से ज्यादा जिंदा नहीं रह सके। जमीन जैसे पहले बंजर थी, वैसे आज भी पड़ी है। अब एक बार फिर उसी जमीन पर दोबारा 5.85 लाख की लागत से पौध रोपण की तैयारी हो रही है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि आखिर एक ही जमीन पर कितनी बार पौध रोपण किया जाएगा ?

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी:-

पहले 7.30 लाख पौध रोपण को मंजूरी दी गई थी, जिसमें से अभी तक एक भी पेड़ नहीं बन सका। इसकी जांच जनपद पंचायत से करवाई गई है। इस बार हमने तय किया है कि पौधों को जीवित रखने की जिम्मेदारी एजेंसी की होगी।

रीता यादव, सीईओ जिला पंचायत बेमेतरा।




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