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दस राज्यों में 28 खाद्य प्रसंस्करण यूनिट को मंज़ूरी; 10 हज़ार लोगों को मिलेगा रोज़गार

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायत राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई बैठक में 320.33 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ 28 खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों को मंजूरी दी गई है. 10 राज्यों में स्वीकृत इन परियोजनाओं से 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. इनमें पूर्वोत्तर भारत की 6 परियोजनाएं भी शामिल हैं.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) की खाद्य प्रसंस्‍करण एवं परिरक्षण क्षमता सृजन/विस्‍तार (सीईएफपीसीपीसी) योजना के तहत प्राप्त प्रस्तावों पर विचार के लिए अंतर-मंत्रालयी अनुमोदन समितिकी बैठक की अध्यक्षता की. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली भी बैठक में उपस्थित रहे. परियोजनाओं के प्रमोटरों ने भी वीडियो कांफ्रेंस से भाग लिया.

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत 3 मई 2017 को खाद्य प्रसंस्‍करण एवं परिरक्षण क्षमता सृजन/विस्‍तार योजना को अनुमोदित किया गया था. इस योजना का मुख्य उद्देश्‍य प्रसंस्‍करण एवं संरक्षण क्षमताओं का निर्माण और मौजूदा खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयों का आधुनिकीकरण/विस्‍तार करना है, जिससे प्रसंस्‍करण के स्‍तर में वृद्धि होगी, मूल्‍यवर्धन होगा तथा अनाज की बर्बादी में कमी आएगी.

अंतर-मंत्रालयी अनुमोदन समिति ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड, असम और मणिपुर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 320.33 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ 28 खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों को मंजूरी दी, जिसमें 107.42 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता भी शामिल है. ये परियोजनाएं 212.91 करोड़ रुपयों के निजी निवेश से क्रियान्वित होंगी, जिनमें लगभग 10,500 व्यक्तियों को रोजगार मिल सकेगा. इसके साथ ही इनकी खाद्य प्रसंस्करण क्षमता 1,237 मीट्रिक टन प्रति दिन होगी. इन परियोजनाओं में यूनिट स्कीम के तहत 48.87 करोड़ रुपये की कुल लागत एवं 20.35 करोड़ रुपये के अनुदान वाली 6 परियोजनाएं भी शामिल हैं, जो पूर्वोत्तर भारत में खाद्य प्रसंस्करण के विकास में सहायक सिद्ध होंगी. साथ ही वहां के लोगों के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन करेंगी.






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