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पशु चिकित्सा में गुणवत्ता वाली दवाओं में नए फार्मूलोंपर अनुसंधान के लिए समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर

औषधीय जड़ी बूटियों के माध्यम से पशु चिकित्सा विज्ञान के लिए गुणवत्ता वाली दवाओं में नए फार्मूलोंपर अनुसंधान के लिए आज आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) और पशुपालन विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस पहल में प्रशिक्षण के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों में क्षमता निर्माण करना, एक स्थायी आधार पर हर्बल पशु चिकित्सा दवाओं के लिए विपणन संभावनाओं की खोज करना और औषधीय पौधों की खेती, संरक्षण सहित सेवाएं प्रदान करना है शामिल है। समझौता ज्ञापन परएनएमपीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. जे.एल.एन. शास्त्री और पशुपालन और डेयरी विभाग से संयुक्त सचिव  उपमन्यु बसु के हस्ताक्षर आयुष मंत्रालय सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और पशु विभाग के सचिव श्री अतुल चतुर्वेदी और दोनों संगठनों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुए।

आयुष मंत्रालय, पशुपालन विभाग को आयुष हर्बल पशु चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम को विकसित करने में मदद करेगा। साथ ही पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले संभावित औषधीय पौधों की प्रजातियों की पहचान करने, अच्छे कृषि अभ्यासों और उच्चतम मानकों पर बेहतर संग्रह अभ्यासों को अपनाने में भी दोनों मिलकर कार्य करेंगे।

आयुष / हर्बल पशु चिकित्सा दवाओं के निर्माण, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस का विकास, औषधीय पौधों के लिए वृक्षारोपण और नर्सरी विकास के लिए वित्तीय सहायता, सुविधा और औषधीय मानकीकरण के मानदंडों को सुविधाजनक बनाना भी इस समझौते के अहम पहलू हैं। योजना के दायरे के अनुसार अनुसंधान और परीक्षण केंद्र स्थापित करने में सहायता करना भी शामिल है।

पशुपालन विभाग आयुर्वेदिक दवाओं के संबंध में आवश्यक, वांछनीयता और व्यवहार्यता के लिए विशेषज्ञ तकनीकी राय के लिए आयुष मंत्रालय की मदद करेगा। विभाग डेयरी किसानों और कृषि-किसानों के बीच हर्बल पशु चिकित्सा के उपयोग और महत्व और औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती के बारे में एनडीडीबी की सहायता से जागरूकता पैदा करेगा। पशु चिकित्सा में आयुर्वेद और इसके संबद्ध विषयों के लिए पाठ्यक्रम विकसित करेगा, प्राथमिकता के आधार पर पशुधन और मुर्गीपालन की सूची की पहचान करेगा। अनुसंधान गतिविधि या पशु आयुर्वेद और संबद्ध धाराओं के आवेदन के संबंध में आर्थिक महत्व की बीमारियों, औषधीय पौधों की खेती और संरक्षण और संबंधित गतिविधियों के लिए किसानों का समर्थन, अनुसंधान संस्थानों ((पशु चिकित्सा कॉलेज और आईसीएआर अनुसंधान संस्थान) के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के अवसरों की पहचान करना भी इसमें शामिल होगा।




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