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एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआं, कोविड-19 संक्रमण ने तोड़ी आर्थिक रूप से कमर, क्या माफ होंगे बिजली बिल और बैंक लोन ईएमआई ?

कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रदेश के कई जिलों में पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है, इस लॉकडाउन को लगे करीब 2 हप्ते हो चुके हैं, छत्तीसगढ़ में कोरोना से हालात बेहद ही खराब है. प्रदेश में कल भी मौत का आंकड़ा 200 के पार रहा. इसी बीच अप्रैल माह समाप्ति की ओर है और इसी समाप्ति के साथ लोगों को चिंता होने लगी है बिजली बिल की मकान के किराया की बैंक लोन ईएमआई की.

लोग करें भी तो क्या करें जहाँ एक तरफ आस-पास में हो रही कोविड-19 संक्रमण से मौत के बाद लोगों में खौफ बना हुआ है तो वहीँ, काम व्यवसाय सबके बंद होने से लोग कर्ज में डूब रहें है. कई व्यवसायी ऐसे हैं जो कर्ज लेकर किराये के मकान में अपना व्यवसाय चला रहें हैं. जिनके लिए अब एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआं है. लोग लगातार सोशल मिडिया में अपना दर्द व्यक्त कर रहें हैं.

बीते वर्ष में हुए लॉकडाउन के बाद फिर से लगे इस लॉकडाउन ने लोगों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ रखी है, इस लॉकडाउन के बाद तो जैसे कुछ व्यवसाय अपने आप ही बंद हो जाये. इसका जिम्मेदार कौन है यह समझ से परे है ? संक्रमण के कम होते ही लोग बेखौफ होकर घुमने लगे, मास्क पहनना छोड़ दिया सरकार का ध्यान वैक्सीन पर रहा.. वैक्सीन को लेकर राजनीति होती रही... जहाँ कोविड अस्पताल बनाये जा रहे थे उस पर से सबका ध्यान हट गया. लेकिन कोविड-19 ने अपना ध्यान लोगों से नहीं हटाया.

रायपुर के क्रिकेट मैदान से लेकर बंगाल की चुनावी रैली में लोगों की भीड़ और लापरवाही देखी गई, जिसमे आम लोग, खास लोग.........बेहद खास लोग लापरवाह देखे गए. जिसका खामियाजा भी अब सभी उठा रहें हैं. महंगाई बढ़ रही है लोग कर्ज में डूब रहे हैं. नुकसान सभी को हो रहा है, कई जिलों लॉकडाउन 5 मई तक लगा है, लेकिन पिछली बार 7 दिन का लगा लॉकडाउन लगभग तीन महीने के चलने से इस बार 5 मई तक लगे इस लॉकडाउन के खुलने की उम्मीद लोग कम ही लगा रहें हैं, क्योंकि स्थिति सबके सामने है. लॉकडाउन बढ़ेगा स्थिति नियंत्रण में आएगा यह तो समय ही बताएगा.

राज्य सरकार ने जिले में लॉकडाउन लगाने का अधिकार जिले के कलेक्टर को दिया है, जिसके बाद जिले में लॉकडाउन भी लगाया गया है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस लॉकडाउन में आम लोगों को बिजली बिल की मकान के किराया की बैंक लोन ईएमआई की छुट मिलेगी या नहीं ?  
इसके लिए जरुरत है कि सरकार द्वारा कोई अनुकूल कदम उठाया जाये, जैसे कि वाहनों के लिए लिए गए कर्ज, सहायता समूह के कर्ज, घर बनाने के लिए लिया गया कर्ज आदि की समान-मासिक किस्त (ईएमआई) की वसूली पर रोक लगाईं जाए, ताकि लोगों को वित्तीय संकट से बचा जा सके. क्योकि हालात बिगड़ने पर लॉकडाऊन और प्रतिबंधों को बढाया जाता है तो नुकसान और बढ़ेगा.

हलाकि बीते वर्ष में लगाये गए लॉकडाउन में कर्ज भरने में मोहलत दी गई थी लेकिन इस दौरान बैंको ने ब्याज लगा दिया. जबकि कई बैंक मनमानी ईएमआई नियमों के खिलाफ वसूलते रहे, सभी मुख दर्शक बने देखते रहे किसी पर कार्यवाही नहीं की जा सही.

बीते वर्ष देशव्यापी लगाये गए लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने ठेले गुमटी, छोटे व्यवसायियों को आर्थिक सहयोग के लिए पैकेज दी गई थी, लेकिन इसका लाभ किन लोगों को मिलता है समझ से परे है.




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