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लोक निर्माण विभाग में नियमित सेवा काल में जोडऩे की वकालत...हाईकोर्ट में याचिका दायर

दैनिक वेतनभोगी से नियमित हुए पीडब्ल्यूडी के उपअभियंताओं की सीनियरिटी प्रकरण पर विवाद खड़ा हो गया है।उपअभियंता दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत अवधि से सीनियरिटी मांग रहे हैं। जिसका बाकी अभियंता विरोध कर रहे हैं।क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद विभाग की उच्चस्तरीय समिति करीब 70 उपअभियंताओं की सीनियरिटी पर विचार कर रही है.. बाद में सरकार ने इन सभी कर्मचारियों को उपअभियंता के पद पर नियुक्ति दे दी। बाद में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद उपअभियंताओं की वरिष्ठता सूची बनाई गई, तो नियमित हुए उपअभियंताओं ने अपने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में 10 वर्ष के कार्यकाल को भी नियमित सेवा काल में जोडऩे की वकालत की।

विभाग द्वारा अमान्य करने पर उपअभियंता प्रशांत कुमार सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने इस पर कमेटी बनाकर विचार करने के लिए कहा। तत्कालीन ईएनसी डीके अग्रवाल ने याचिकाकर्ता, और अन्य लोगों को दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में लाभ को मान्य नहीं किया। बाद में इस पूरे मामले में फिर से याचिका दायर की गई। कमेटी में चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, और फाइनेंस ऑफिसर सदस्य हैं। कमेटी को दो दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

दूसरी तरफ, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में सेवा को मान्य करने के बाद सीनियरिटी का निर्धारण करने की दशा में पहले से कार्यरत अभियंताओं की सीनियरिटी खतरे में पड़ सकती है। इससे विशेषकर आरक्षित वर्ग के अभियंता ज्यादा संख्या में प्रभावित हो सकते हैं। इसका विरोध हो रहा है, और इसके खिलाफ मुख्यमंत्री, और मुख्य सचिव को ज्ञापन भी भेजा गया है। यह भी बताया गया कि बड़ी संख्या में डिप्लोमाधारी लोगों को मस्टर रोल पर रखने के लिए सीनियर अभियंताओं ने अपने अधिनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिए थे, लेकिन यह कोई नियुक्ति आदेश नहीं था। ऐसे में दैनिक वेतनभोगी के रूप में सेवाकाल को तदर्थ नियुक्ति नहीं माना जा सकता है।बहरहाल, कमेटी के फैसले का इंतजार किया जा रहा है.




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