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गरीब और मजदूरों के स्वास्थ्य की परवाह नही... "पाखड़ चावल को 10 रुपये की दर से दुकान में बेचने मजबूर और बेबस जनता...

रायगढ़। एक तरफ छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार जनता हित में योजना लाने और कार्य करने हेतु कोई कसर नही छोड़ रही है, तो वहीं कुछ राइस मिलरों के द्वारा खराब धान व चावल को खपाने के लिए यह खेल किया जा जा रहा है। छत्तीसगढ़ की मंशा में पानी फेरने सारंगढ़ के अधिकारी
कर्मचारी या यूं कहें कुछ राजनीति में दखल देने वाले तथाकथित नेता भी पीछे नही हट रहे हैं क्योंकि इन्ही के साठगांठ से राइसमिलरों से कमीशन लेकर जनता को बीमारी परोसने सारंगढ़ की जनता को पाखड़ चावल बाटने का क्रम बदस्तूत जारी है। क्योंकि गरीब की सुनने वाला दुनिया मे कोई नही होता और सुनेगा भी कौन? गरीब की जिंदगी को सुधारने का दावा करते कुछ लोग खुद नगरसेठ और बड़े आसामी बन बैठे लेकिन बेचारे गरीब तो पैदा ही हुवे हैं दबने-कुचलने के लिए ऐसा ये सफेदपोश समझ बैठे हैं।

जनता के साथ पीडीएस संचालनकर्ता भी बेबस-
न सिर्फ जनता अपितु पीडीएस संचालनकर्ता भी राइसमिलरों और अधिकारियों के आगे बेबस और नतमस्तक हैं। नाम न छापने के शर्त पर एक पीडीएस संचालक ने बताया कि पाखड़ चावल की शिकायत करने पर अधिकारी ऐसा ही चावल आ रहा है रख लो कहते हैं। अगर उनकी बात न मानें तो उल्टा कार्रवाही कर देंगे इस डर से हमे मजबूरन रखना पड़ता है।

कॉंग्रेस के नेताओं की छवि हो रही धूमिल-
पाखड़ चावल की समस्या से जनता त्रस्त हैं मध्यमवर्गीय परिवार तो चावल को देखते ही दुकान में 10 रुपये किलो की दर में विक्रय रहे हैं,और ये दुकानदार फिर इन चावलों को राइसमिलर को 18-20 रुपये की दर में सेलिंग कर रहे हैं। और फिर राइसमिलर इन्हें पुनः पीडीएस दुकानों में दबावपूर्वक खपा रहे हैं। ये चक्र सारंगढ़ में अनवरत च रहा है। लेकिन उन गरीबों का क्या जिनके पास खाने को पर्याप्त संसाधन नही हैं। बेचारे मजबूरन अपने छोटे बच्चों को इन्हें खिलाने को बाध्य हैं। एक तरफ भूपेश सरकार छोटे बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को दूर करने योजनाएं संचालित कर रही है,वहीं दूसरी तरफ उनके ही कुछ नुमाइंदे बच्चों और महिलाओं को कुपोषण परोस रहे हैं।
इस पर सारंगढ़ की विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े को व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर गरीबों की आवाज़ बननी पड़ेगी वरना विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिलना तय है।




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