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बसना : शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भूकेल के खेल मैदान में की गयी छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की शुरूआत

बसना जनपद के ग्राम पंचायत भूकेल के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान में प्रदेश सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ में पारंपरिक रूप से खेले जाने वाले स्थानीय खेलो को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अपनी तरह का अनोखा ओलंपिक खेल छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का शुभारंभ किया। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों शुभारंभ के मुख्य अतिथि के रुप में जनपद पंचायत बसना के अध्यक्ष रूखमणी सुभाष पटेल रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जनपद सभापति देवकुमारी फूलचंद ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में महिला ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष तनुजा साहू, भूकेल सरपंच सीडी बघेल, बरबसपुर सरपंच तपन भोई, गुढ़ियारी के पूर्व सरपंच उपेन्द्र दाऊ, जनपद सीईओ एमआर यदु, प्रधान पाठक नेहरू लाल पटेल, पीटीआई शिक्षक दुर्योधन पटेक, सकुंल समन्वयक नंद मनबोध नंद, शिक्षक खीरसाय चौधरी राजीव युवा मितान क्लब के अध्यक्ष भाग्यश्री चौहान रहे। अतिथियों सर्वप्रथम मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर राजकीय गीत अरपा पैरी की धार से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान उपस्थित खिलाड़ियों एवं लोगों को कहा कि देश में अनेक राज्यों का गठन मुख्य रूप से भाषाई आधार पर हुआ है, जबकि छत्तीसगढ़ का गठन यहां की विशिष्ट सांस्कृति के आधार पर हुआ है।

मध्यप्रदेश ने देश के सांस्कृतिक पटल पर जो ऊंचाईयों अर्जित की हैं, उसमें छत्तीसगढ़ का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वस्तुतः छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण भी सांस्कृतिक दृष्टि से किया गया है। छत्तीसगढ़ निर्माण के लम्बे अरसे के बाद भी राज्य की सांस्कृतिक विविधताओं और गौरवशाली परम्पराओं को सहेजने और संरक्षित करने की दिशा में अपेक्षित कार्य नहीं हो सका। राज्य में कांग्रेस की सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश की परम्पराओं, संस्कृति और लोककला को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। अब छत्तीसगढ़ भूले बिसरे परंपरागत खेलों को सहेजने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है। इस खेल को केवल खेल ना समझे गंभीरता से ले यह पहचान बनाने की और आगे आने के लिए सुनहरा अवसर है।

भूकेल सरपंच सीडी बघेल ने कहा कि हर आदमी की एक पहचान होती है उसका चरित्र उसी प्रकार छत्तीसगढ़ की पहचान सांस्कृतिक धरोहर है। जिसे लोग भूल गये है उसे प्रदेश की भूपेश सरकार पुनर्जीवित करने के लिए छत्तीसगढ़ के 14 पारंपरिक खेलों का छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के रूप में किया जा रहा जिसका आयु वर्ग के लोग लाभ ले सकते है। जनपद सीईओ एमआर यदु बताया कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में पारंपरिक गिल्ली डंडा, लंगड़ी दौर, पिट्ठल, संखली, कबड्डी, खो-खो, रस्साकशी, बाटी, गेड़ी दौड़, फुगड़ी, भौरा, 100 मीटर दौड़, लंबी दौड़, लंबी कूद और बिल्लस।

3 आयु वर्ग में बटा है प्रतियोगिता
इन प्रतियोगिता को 3 आयु वर्ग में बांटा गया है 18 वर्ष की आयु तक, 18 से 40 वर्ष की आयु तक और 40 वर्ष से अधिक आयु तक पुरूष एवं महिला वर्गो में बांटा गया है। जिनका आयोजन 102 ग्राम पंचायत स्तर पर 6 से 11 अक्टूबर, 13 जोन स्तर पर 15 से 20 अक्टूबर, विकासखंड स्तर पर 27 से 10 नवंबर, जिला स्तर पर 17 से 26 नवंबर, संभाग स्तर पर 5 से 14 दिसंबर और राज्य स्तर पर 28 दिसंबर से 6 जनवरी तक किया जावेगा।

कार्यक्रम का संचालन एवं आभार वरिष्ठ करारोपण अधिकारी खेमलाल दाता ने किया। इस दौरान वरिष्ठ करारोपण अधिकारी राजनारायण शर्मा, सचिव श्रवण बाघ, जयंत बारीक, गंगाराम नंद, जगमोती ठाकुर, सावित्रीबाई, फिरोज खान सहित बड़ी संख्या में खिलाड़ियों एवं ग्रामीणों की उपस्थिति रही।




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