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ग्रामीणों का आरोप सरपंच और सचिव ने रुपये लेकर निस्तारी तालाब को दे दिया मछली ठेका के लिए प्रस्ताव.

लीज में दिये जाने से प्रदुषित पानी से होती है निस्तारी की समस्या

सारंगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत हिर्री के सभी तालाबो को मछली पट्टे का ठेका कुछ वर्ष पहले ही दे दिया गया है. अभी की स्थिति में पूरे ग्राम पंचायत हिर्री में केवल एक निस्तारी योग्य तालाब था जो नया तालाब के नाम पर है. पर ग्राम पंचायत द्वारा रुपए लेकर यहां के कुछ कथित महिलाओ गोमती/पति कृष्णो, मिनाबाई/पति कौशल के नाम पर लीज में दिया गया है. तालाबों को लीज में देने से गांव के कुछ ग्रामीण लामबंद हो गए है,  और उन्होंने इसकी शिकायत सरपंच सचिव से लेकर मत्स्य खेट विभाग, राजस्व अधिकारी और कलेक्टर से की है. यह सभी शिकायत लिखित रूप से की गयी है.

ग्रामीणों के दिये हुए शिकायत के अनुसार ग्राम पंचायत हिर्री के वार्ड 6,7 के महिलाओ के द्वारा समिति बनाया गया है, सूत्रों से छनकर आयी जानकारीनुसार जिसका अभी तक पंजीयन शाखा में रजिस्ट्रेशन नही हो पाया है. उनको मत्स्य विभाग से मछली की बिज प्रदाय किया जा चुका है.

ग्रामीणों का कहना है कि तालाब लीज में दिया जा चुका है और लीज में दिये जाने से तालाब का पानी प्रदुषित हो जाएगा. निस्तारी करने योग्य तालाब प्रदुषित होने से खुजली तथा अन्य गंभीर कई प्रकार की जल जनित बिमारियां होना सम्भवता सही साबित होगा.

ज्ञात हो कि हिर्री में पिछले 65-70 वर्षो से निस्तारी योग्य तालाब में मछली मारने से निस्तारी करने वाले ग्रामीणों को पीलिया व डायरिया जैसे गंभीर बिमारियां का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह से ग्रामीणों को और वंही मवेशी पशुओ को पानी इस्तेमाल से भारी नुकसान हो सकता है. पिछले कुछ वर्षों से यहाँ के लोगों को पानी की किल्लत का भी सामना करना पढ़ रहा है. वर्षो से लगातार सारंगढ़ अंचल में पीलियां व डायरिया की चपेट में आने से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त हो गई है. कंही वही स्थिति यंहा भी ग्रामीणों, पशुओ पर व्याप्त हो न जाये.

गांव के लोग एक-एक करके पानी पीने की समस्या से जूझते रहते है. गर्मी के दिनों में पीने के लायक पानी नसीब नही होता अगर नहाने के लिए भी गंदा पानी मिला तो सम्भवता ही  गम्भीर बीमारियों का सामना करते-करते ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

 

बता दें कि महिला समिति को तालाब लीज मिलने के बाद उसमें कई प्रकार हानिकारक केमिकल दवाई का उपयोग किया जाता है, जिससे तालाब का पानी काफी प्रदुषित हो जाता है. तालाब का पानी प्रदुषित होने से ग्रामीणों का नहाने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. तालाब में मछली का बीज डालते ही तालाब का पानी पूर्ण रूप से गंदा हो जाता है. जिसके बाद स्थानीय लोगों को निस्तारी की समस्या हो जाती है.

वही ग्रामीणों ने बताया कि तालाब के ठेका को निरस्त करने के लिए पंचायत से सरपंच, सचिव पंच व ग्रामीणों की सहमति से पंचायत प्रस्ताव भी किया जा चूका था. फिर 2 महीने लगभग बाद रुपए लेकर सरपंच के द्वारा पुनः प्रस्ताव पास कर दिया गया.

ये भी बात बता दे कि महिला समिति में सम्मिलित अध्यक्ष, सचिव, सदस्य के द्वारा ये भी बात कही जा रही है कि, अगर हमारे मछली पालने में कोई रुकावट हुई या पानी गन्दा हो रहा है कहकर कहीं इसकी शिकायत की जाती है तो तुम्हारे नाम से पुलिस थाने में शिकायत कर देंगे.

वही बात करे तो समिति के जो अध्यक्ष पद पर गोमती जोल्हे के देवर सतनोहर जोल्हे जेवरा पंचायत में सचिव के पद पर पदस्त है उनके द्वारा मिलीभगत कर यह प्रस्ताव बनाया गया है. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि शीघ्र ही शासन द्वारा ठेका को तत्काल निरस्त नहीं किया जाता है तो मजबुरन आक्रोशित ग्रामीण उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

शिकायत करने वाले में उपसरपंच सुषमा जोल्हे, सुखीराम जोल्हे, ज्योति बाई, हरिभगत जोल्हे, बेदराम जोल्हे, जगराम जोल्हे, दारासिंह, दानसिंह, अनिता, दिनेश खिकबाई, रामलाल, हरिराम, गोविन्दा, लक्ष्मण, शोभाराम जोल्हे, विजय एवं ग्रामीण सैकड़ों की संख्या में पहुंचे हुए थे.





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