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महासमुंद : भारत की जनता के स्वभाव एवं संस्कार में ही है सहकारिता - डॉ. अनुसुइया अग्रवाल

स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुंद में प्राचार्य प्रो. डॉ अनुसुइया अग्रवाल की मार्गदर्शन में अंतराष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन 2024 के अंतर्गत एक दिवसीय सहकारिता प्रशिक्षण/संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि एस. आर. बंजारे प्रचार प्रसार अधिकारी जिला सहकारी मर्या संघ महासमुंद एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में जी एल कौशिक जी उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य एवं मुख्य अतिथि के द्वारा मां सरस्वती का माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से किया गया।

प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में सहकारिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को इस संबंध में कहा कि भारत की जनता के स्वभाव एवं संस्कार में ही सहकारिता है और ये कोई उधार लिया हुआ विचार नहीं है, इसलिए भारत में सहकारिता कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकता है। सहकारिता के माध्यम से गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊपर उठाया व छोटे किसानों को समृद्ध बनाया जा सकता है और ये सिर्फ देश की युवा शक्ति ही कर सकती है। साथ ही जीवन में सहकार को अपनाने हेतु प्रेरित किया।

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता एस आर बंजारे ने अपने वक्तव्य में कहा कि सहकारिता का अर्थ साथ-साथ कार्य करना है, इस क्षेत्र में कार्य कर जनता की सेवा में तत्परता से रहने हेतु प्रोत्साहित किया। उनके वक्तव्य का प्रथम बिंदु सहकारिता से समृद्धि विषय पर आधारित था इस विषय पर आगे कहा कि छोटे से छोटे व्यक्ति को विकास की प्रक्रिया में हिस्सेदारी बनाना, सहकारिता की प्रक्रिया से हर घर को समृद्ध बनाना और हर परिवार की समृद्धि से देश को समृद्ध बनाना, यही सहकार से समृद्धि का मंत्र है। द्वितीय बिंदु शिक्षा के क्षेत्र में सहकारिता की भूमिका रोजगार मूलक शिक्षा पर आधारित था। तथा अपने वक्तव्य के अंतिम बिंदु में छात्र छात्रों के लिए सहकारिता क्यों आवश्यक है, इस पर विस्तृत चर्चा करते हुए सहकारिता के किन-किन क्षेत्रों में विद्यार्थी अपना उज्जवल भविष्य बना सकते हैं इसके बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने सहकारिता के उद्देश्य को बतलाते हुए कहा कि सहकारिता के अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में महाविद्यालय विश्वविद्यालय बनाने की योजना चिकित्सा के क्षेत्र में जेनेरिक दवाएं कम कीमत पर उपलब्ध कराना, कृषि के क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा देने डेयरी क्षेत्र में संभावना बैंक क्षेत्र के बारे में प्रमुखता से चर्चा की। साथ ही उन्होंने विभिन्न सहकारी समितियों के सफलताओं के उदाहरण देते हुए बताया कैसे अमूल, लिज्जत पापड़ जैसे सहकारी समितियां सहकारिता के मूलतत्व को समाहित रखते हुए मार्केटिंग, मैनेजमेंट व उत्पादन के क्षेत्र में आज देश विदेश में अपना परचम लहरा रहे हैं । तत्पश्चात श्री कौशिक जी ने अपने वक्तव्य के दौरान स्वरोजगार के संबंध में अपने विचार रखें, विद्यार्थियों को इस माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की ओर आगे बढ़ने हेतु प्रेरित किया।

सहायक प्राध्यापक प्रतिमा चंद्राकर ने सहकारिता के संबंध में विद्यार्थियों को निर्देशित करते हुए बताया कहा कि शिक्षा प्राप्त करने का एकमात्र उद्देश्य नौकरी प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, अन्य क्षेत्र में भी रोजगार की ओर विचार करें।

सहायक प्राध्यापक रवि देवांगन ने सहकारिता के अंतर्गत मछली पालन, रेशम पालन, राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत ग्रामीण एवं शहरी जनमानस को सरकार के द्वारा प्रदान किए जाने वाले अनुदान के संबंध में भी बतलाया। स्वयं तथा समाज को प्रगति के पथ पर अग्रसर होने में अपनी भूमिका निभाए। भारत के सहकारिता आंदोलन के पुरोधाओं ने हमें जो यह मजबूत प्लेटफार्म दिया है उस पर हम सबको मिलकर एक मजबूत इमारत खड़ी करनी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सहायक प्राध्यापक तरुण कुमार बांधे ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि इतने बड़े देश में अगर सर्वस्पर्शीय, सर्वसमावेशी विकास का कोई आर्थिक मॉडल हो सकता है तो वह सहकारिता का मॉडल हो सकता है। तरुण बांधे आगे कहा कि अगर छोटे-छोटे लोगों की बड़ी संख्या एकजुट होकर, एक लक्ष्य के साथ, बंधुत्व भाव से एक दिशा में काम करें तो एक बड़ी ताकत निर्मित हो सकती है यही सहकारिता का मूलमंत्र भी है।
संकल्प शक्ति, साफ नीयत, परिश्रम व संघ भाव से काम करना इन 4 सूत्रों को आत्मसात कर ही हम सहकारिता आंदोलन को गति दे सकते हैं। जिस दिन आप खुद की बजाए दूसरों के लिए सोचना शुरू करते हैं तो बहुत सारे लोग आपके लिए सोचते हैं, यही जीवन में सफलता का मंत्र है।

एक दिवसीय सहकारिता प्रशिक्षण में सहकारिता से संबंधित विद्यार्थियों के लिए प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई जिसमें सही उत्तर देने पर 20 प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया किया। प्रशिक्षण में सहभागी सभी छात्र छात्राओं को सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन निलेश तिवारी ने किया। कार्यक्रम पर आभार प्रदर्शन चित्रेश बरेठ द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में प्राध्यापको में मुकेश कुमार सिन्हा, सुश्री माधुरी दीवान, आलोक त्रिलोक हिरवानी, डॉ. ग्लैडिस मैथ्यू, संजय कुमार, शेषनारायण साहू (प्रयोगशाला तकनीशियन) तथा जगतारण बघेल (प्रयोगशाला तकनीशियन) आदि उपस्थित थे। साथ ही कार्यक्रम में 100 से अधिक विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु महाविद्यालय के कर्मचारी कौशल साहू ने सक्रिय भूमिका निभाई ।





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