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महासमुंद : देश सबसे बड़ा और संविधान ही सर्वोपरि - उप मुख्यमंत्री अरूण साव

वर्ष 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन सरकार द्वारा सम्पूर्ण देश में आपातकाल लगाया गया था। इसके 50 वर्ष पूर्ण होने पर आज ‘संविधान हत्या दिवस’ के तौर पर मनाया गया। इस दौरान जिले के मीसा बंदियों के परिजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही आपातकाल पर परिचर्चा की गई। इस अवसर पर छायाचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से 1975 के आपातकाल के दौर को रेखांकित किया गया। छत्तीसगढ़ हायर सेकेण्डरी स्कूल महासमुंद में आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उप मुख्यमंत्री अरूण साव  तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर सांसद महासमुंद लोकसभा क्षेत्र रूपकुमारी चौधरी उपस्थित थे। 

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ बीज निगम के अध्यक्ष चंद्रहास चंद्राकर, पूर्व राज्यमंत्री पूनम चंद्राकर, प्रदीप चंद्राकर, नगर पालिका उपाध्यक्ष देवीचंद राठी, मीसाबंदी मोहन चोपड़ा, मणिलाल चंद्राकर एवं उर्मिला अमृत साहू उपस्थित थे।

 
जिला पंचायत के सभाकक्ष में आज दोपहर 12.00 बजे छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जहां सांसद रूपकुमारी चौधरी ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। द्वितीय सत्र में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अरुण साव आपातकाल पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि के आसंदी से उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान हत्या दिवस के इस अवसर पर हम सभी एकत्र हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस बात को समझने कि आवश्यकता है कि आपातकाल क्यों लगाया गया। उस समय महंगाई और अराजकता चरम पर थी, जनता के मन में असंतोष था। इसी असंतोष को दबाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा आपातकाल लगा दिया गया। ये दिवस जब हम मना रहे हैं ये इस बात को बताता है कि हम सभी मीसा बंदियों के दर्द को समझते हैं जिन्हें बेवजह जेल में डाल दिया गया। एक तरफ़ संविधान की हत्या की गई और दूसरी ओर संविधान निर्माता का लगातार अपमान किया गया। उन्होंने कहा कि देश से बड़ा कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र की भावना को मानते हैं, समझते हैं उन्हें आपातकाल जैसी मानसिकता के खिलाफ खड़ा होना होगा, इसी में इस देश की बेहतरी है।

उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जहां संविधान सर्वोपरि है। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 1975 में तत्कालीन सरकार द्वारा देशवासियों पर अचानक थोपे गए आपातकाल के काले सच की सभी को जानकारी होना बेहद जरूरी है। 25 जून वह दिन है, जब लोकतंत्र के मूल्यों की हत्या हुई थी। सत्ता के लालच में नियम व कानून को ताक पर रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए तत्कालीन सरकार ने पूरे देश में इमरजेंसी लगा दी।

विशिष्ट अतिथि सांसद रूपकुमारी चौधरी ने आपातकाल के समय की परिस्थितियों का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा की तब सत्ताधीशों ने अपनी सत्ता के लालच में संविधान की हत्या की जिसके बारे में लोगों को जानना जरूरी है। उन्होंने कहा की आपातकाल के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है क्यूंकि संविधान के स्तंभ कोर्ट और मीडिया तक को सेंसर कर दिया गया। इसलिए यह हमारे इतिहास के लिए एक काले अध्याय की तरह था। इन्होंने संविधान के रक्षक बनने के बजाय भक्षक बनने का काम किया।
 
वहीं स्काउट गाइड के जिलाध्यक्ष येतराम साहू ने आपातकाल के इतिहास को बताया साथ ही मीसा बंदियों के दर्द और यातना का जिक्र करते हुए उस काले अध्याय को दर्दनाक घटना बताया। इस अवसर पर मीसाबंदी मणिलाल चंद्राकर ने उस वक्त की हालातो का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे देश में विपक्ष के सभी नेताओं को जेल की सलाखों में डाल दिया गया। कुर्सी की रक्षा के लिए पूरे देश में आपातकाल लगाया। उन्होंने बताया कि वे बिना बताए घर से निकल गए और आपातकाल के ख़लिफ़ रायपुर में नारेबाजी की और अगले दिन गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया।


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