
महासमुंद : दिव्यांग बच्चों हेतु जिला स्तरीय मेगा आकलन शिविर का सफल आयोजन
समग्र शिक्षा एवं जिला प्रशासन महासमुंद के संयुक्त तत्वावधान में दिव्यांग बच्चों के लिए जिला स्तरीय मेगा आकलन शिविर का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महासमुंद विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा उपस्थित रहे। उन्होंने शिविर में पात्र चिन्हांकित दिव्यांग बच्चों को प्रमाण पत्र और सहायक सामग्री वितरित कर उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के समावेशी शिक्षा को विशेष महत्व देने और हर सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही।
अपर कलेक्टर रवि साहू ने शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि दिव्यांगता जीवन में बाधा नहीं है दृढ़ संकल्पित होकर पढ़े लिखे तो हर ऊंचे पदों पर मन वांछित स्थान पर अपना स्थान बना सकते हैं। शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा बच्चों की संपूर्ण जांच एवं आकलन किया गया। इस टीम में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. मानस अंकुर सतपति, श्रवण बाधित विशेषज्ञ डॉ. ओमकेश्वरी साहू, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविंद गुप्ता, नेत्र विशेषज्ञ डॉ. मंजूषा चंद्रसेन एवं मनोवैज्ञानिक डॉ. टिकेश्वरी गोस्वामी सम्मिलित थीं, जिन्होंने अपनी विशेषज्ञता के माध्यम से शिविर को सफल बनाया।
कार्यक्रम का आयोजन कलेक्टर विनय कुमार लंगेह सीईओ एस आलोक के मार्गदर्शन में जिला शिक्षा अधिकारी विजय कुमार लहरे, जिला मिशन समन्वयक रेखराज शर्मा, एपीसी डी. एन. जांगड़े के निर्देशन में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का संचालन खेमिन साहू ने किया। आभार प्रदर्शन जागेश्वर सिन्हा बीआरसीसी महासमुंद ने किया। इस विशेष शिविर में महासमुंद जिले के पाँचों विकासखंड—महासमुंद, बागबाहरा, पिथौरा, बसना और सरायपाली से 173 से अधिक दिव्यांग बच्चे, उनके पालक एवं शिक्षक उपस्थित रहे। इनमें से 110 बच्चों की विशेषज्ञों द्वारा जांच की गई, जिनमें से पात्र पाए गए बच्चों को प्रमाण पत्र तत्काल वितरित किए गए।
कार्यक्रम को सफल बनाने में उप संचालक समाज कल्याण संगीता सिंह,बीईओ लीलाधर सिन्हा, बीआरसीसी जागेश्वर सिन्हा, बीआरपी अनीता निर्मलकर, रंभा जायसवाल, राकेश कुमार, निर्मल, अवधेश यादव, स्पेशल एजुकेटर तुलसी साहू, डिम्पल जांगड़े, सुखदेव, अंकित, संकुल समन्वयक आशीष साहू , नीरज साहू, सुरेश पटेल, पवन साहू, ईश्वर कमार, गणेश टंडन, टाकेश्वर साहू , केशव साहू एवं शिक्षकों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। यह शिविर समावेशी शिक्षा की दिशा में एक सराहनीय प्रयास रहा, जिससे दिव्यांग बच्चों के अधिकारों और उनके बेहतर भविष्य की दिशा में ठोस पहल सुनिश्चित हुई।