
हरेली तिहार पारंपरिक उत्साह एवं सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया
24 जुलाई 2025 को कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कांपा, महासमुंद के प्रांगण में छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक "हरेली तिहार" उत्साहपूर्वक एवं पारंपरिक भावनाओं के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. अनुराग के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक पूजा-अर्चना से हुआ, जिसमें महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, सहायक प्राध्यापक, अतिथि व्याख्याता, तकनीकी सहायक, छात्र-छात्राएं एवं अन्य कर्मचारीगण सम्मिलित हुए। सभी ने परंपरा अनुसार कृषि यंत्रों की पूजा की तथा संपूर्ण विश्व के कृषकों एवं कृषि कार्यों की सफलता व समृद्धि के लिए प्रार्थना की गई। पूजा के पश्चात राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवकों द्वारा गेड़ी दौड़, पारंपरिक लोक खेल, एवं विविध सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया।
इस अवसर को विशेष बनाने हेतु महाविद्यालय के छात्रों द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता, रंगोली निर्माण, एवं पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाने की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपनी प्रतिभा का सुंदर प्रदर्शन किया। छात्र-छात्राओं ने हरेली पर्व के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए कृषि से जुड़ी विविध कलाकृतियों के माध्यम से संदेश प्रेषित किया।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रमुख प्राध्यापक डॉ. ओकेश चंद्राकर, डॉ. सुषमा, योगराज एवं अन्य सभी शिक्षण एवं गैर-शिक्षण स्टाफ ने सक्रिय भागीदारी निभाई। सभी उपस्थित अतिथियों ने हरेली पर्व को सामाजिक एकता, पर्यावरण संरक्षण और कृषि संस्कृति से जोड़ते हुए इसकी प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का समुचित संचालन एवं आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना शाखा के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मुकेश कुमार सेठ के नेतृत्व में किया गया, जिनके मार्गदर्शन में संपूर्ण आयोजन सुव्यवस्थित एवं अनुशासित रूप से संपन्न हुआ।
हरेली तिहार का यह आयोजन न केवल छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सहेजने और बढ़ावा देने का प्रयास था, बल्कि यह युवाओं में कृषि के प्रति आदर, जागरूकता और उत्साह जगाने का एक सार्थक माध्यम भी सिद्ध हुआ।