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कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र महासमुंद में हुआ वीरता व देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम

26 जुलाई 2025 – कारगिल विजय दिवस, भारतीय सैन्य इतिहास की वीरता, त्याग और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक दिवस है। इसी पावन अवसर पर आज कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कांपा – महासमुंद में एक अत्यंत भावनात्मक, प्रेरणादायक एवं गौरवशाली कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रभक्ति, सैनिकों के प्रति सम्मान तथा देश की सीमाओं की रक्षा में दिए गए बलिदान के प्रति जागरूकता और संवेदना का भाव उत्पन्न करना था। 

यह कार्यक्रम महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. अनुराग के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "कारगिल विजय दिवस केवल एक सैन्य सफलता नहीं, अपितु यह भारत के वीर सपूतों की अदम्य साहस, अनुशासन और मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है।" उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वे जीवन में अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र के प्रति निष्ठा को अपनाएं, क्योंकि छात्र ही राष्ट्र निर्माण की मजबूत नींव होते हैं।कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. पी.सी. चौरसिया के विस्तृत पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन के साथ हुई, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक स्थिति, कारगिल युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, तथा युद्ध में प्रयुक्त रणनीतियों, चुनौतियों और भारतीय सेना की अद्वितीय वीरता को चित्रों और वीडियो के माध्यम से प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "इन वीर जवानों के बलिदान से ही आज हम निश्चिंतता से जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।"

कार्यक्रम का मंच संचालन बहुत ही सधे हुए और भावपूर्ण तरीके से महाविद्यालय के एनएसएस इकाई प्रभारी डॉ. मुकेश कुमार सेठ द्वारा किया गया। उन्होंने उपस्थित सभी अतिथियों, छात्र-छात्राओं और महाविद्यालय परिवार का स्वागत करते हुए, कारगिल युद्ध से जुड़ी घटनाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर महासमुंद जिले से आमंत्रित भूतपूर्व सैनिकों – हरिशंकर चंद्राकर, प्रदीप चंद्राकर, अरविंद साहू और अन्य वीरजनों का विशेष सम्मान किया गया। इन सैनिकों ने मंच पर आकर भारतीय सेना में अपने सेवाकाल के अनुभव, सीमा पर तैनाती के कठिन हालात, तथा देश सेवा की भावना से प्रेरित जीवन की झलकियाँ साझा कीं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे भारतीय सेना का सम्मान करें, और देश सेवा के लिए स्वयं को तैयार रखें। सभी पूर्व सैनिकों ने अपने वक्तव्यों में बताया कि एक सैनिक का जीवन केवल युद्ध के मैदान में सीमित नहीं होता, अपितु यह नैतिक मूल्यों, अनुशासन और निःस्वार्थ देशभक्ति का प्रतीक होता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि भारतीय सेना केवल एक करियर विकल्प नहीं, बल्कि देशभक्ति की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है।

इस विशेष अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, अधिकारी व कर्मचारी – डॉ. सम्भूति संकर, डॉ. सुषमा, श्री योगराज, सहित अनेक गणमान्यजनों की गरिमामयी उपस्थिति रही। छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति से ओतप्रोत भाषण, कविताएँ एवं पोस्टर के माध्यम से कारगिल के वीरों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का समापन डॉ. पी.सी. चौरसिया द्वारा संगठित व भावनात्मक धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया। उन्होंने सभी आमंत्रित पूर्व सैनिकों, उपस्थित अतिथियों, प्राध्यापकगणों, एनएसएस इकाई और छात्रों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन हमारे युवाओं को राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध एवं प्रेरणा प्रदान करते हैं।


कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:

जम्मू-कश्मीर की स्थिति एवं कारगिल युद्ध पर शैक्षणिक प्रस्तुति

भूतपूर्व सैनिकों का सम्मान एवं अनुभव साझा

छात्र-छात्राओं द्वारा देशभक्ति की प्रस्तुतियाँ

अधिष्ठाता का प्रेरणादायक संबोधन

एनएसएस इकाई द्वारा सफल आयोजन

यह कार्यक्रम न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देने का अवसर बना, बल्कि युवाओं को राष्ट्र निर्माण की दिशा में आत्मसमर्पण की प्रेरणा भी प्रदान कर गया।



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