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माइक्रोग्रीन्स खेती बन रही है किसानों की नई उम्मीद

खेती का ज़िक्र आते ही हमारे ज़ेहन में हरे-भरे खेतों और एकड़ों ज़मीन की तस्वीर उभर आती है। लेकिन अब वक्त बदल रहा है। खेती के तरीके आधुनिक हो रहे हैं। अब किसान और युवा सिर्फ़ एक कमरे या छत पर भी सब्ज़ियां उगाकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। इसी बदलाव का नया उदाहरण है।माइक्रोग्रीन्स खेती।

माइक्रोग्रीन्स छोटे-छोटे हरे पौधों के अंकुर होते हैं जिन्हें बीज से उगाने के बाद सिर्फ़ 7 से 10 दिन में ही काट लिया जाता है। आकार में भले ये छोटे हों, लेकिन पोषण के मामले में ये बड़े-बड़े पौधों को भी पीछे छोड़ देते हैं। इनमें विटामिन A, C, E, K, आयरन, पोटैशियम और ऐंटीऑक्सिडेंट्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यही वजह है कि इन्हें सुपरफूड कहा जाता है। सलाद, सूप, सैंडविच और गार्निशिंग में इस्तेमाल के चलते माइक्रोग्रीन्स की मांग होटलों और रेस्टोरेंट्स में तेजी से बढ़ रही है। इसी बढ़ती मांग से किसानों की आमदनी में भी इज़ाफा हो रहा है।

इस खेती की सबसे बड़ी खासियत है।कम लागत, कम जगह और कम समय में ज़्यादा मुनाफा।इसके लिए न खेत की ज़रूरत होती है और न भारी मशीनों की। बस कुछ ट्रे, कोकोपीट या मिट्टी, बीज और हल्की धूप से ही फसल तैयार की जा सकती है।

सरसों, मूंग, चना, ब्रोकली, धनिया, मेथी, सूरजमुखी, पालक और तुलसी जैसे पौधे माइक्रोग्रीन्स के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। कम समय में तैयार होने वाली और पोषण से भरपूर यह हरी फसल आज युवाओं और छोटे किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। माइक्रोग्रीन्स खेती न सिर्फ़ एक नया कृषि ट्रेंड है, बल्कि कम जगह में बड़ी कमाई का सुनहरा अवसर भी साबित हो रही है।


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